मुस्लिम प्रेम विवाह-लड़की 16 की लड़का 22 का, क्यूं कहा हाईकोर्ट ने शादी वैध
विरेन्द्र चौधरी
पठानकोट। स्थानीय एक 16 वर्षीय लड़की और 22 वर्षीय लड़के ने मुस्लिम रिति रिवाज़ से प्रेम विवाह किया। शादी के बाद अपनी सुरक्षा के लिए एस एस पी पठानकोट से गुहार लगाई। पुलिस की ओर से कोई रिस्पांस ना मिलने पर नवदंपति सुरक्षा के लिए पंजाब हाईकोर्ट गये। पूरा मामला सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा मुस्लिमों का विवाह मुस्लिम पर्सनल लॉ के अधीन होता है, इसलिए यह शादी वैध है और पुलिस उन्हें सुरक्षा मुहैया कराये।
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने पूरा मामला सुनने के बाद कहा मुस्लिमों की शादी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अधीन आता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत जो व्यक्ति यौन परिपक्वता प्राप्त कर लेता है, उसे निकाह के योग्य मान लिया जाता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी तरह का कोई सबूत नहीं है तो 15 वर्ष की आयु में निकाह योग्य माना जाता है। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को जीवन और स्वतंत्रा की रक्षा का अधिकार है।
समाचार के अनुसार एक 22 वर्षीय युवक व 16 वर्षीय लड़की ने मुस्लिम रिति रिवाज़ के साथ शादी की। याची को पुलिस प्राटक्शन ना मिलने पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा। याची ने अपनी याचिका में कहा मुस्लिमों में यौन परिपक्वता आने पर विवाह को वैध माना गया है। ऐसे में हमारा विवाह वैध है। लेकिन उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है क्योंकि उन्होंने पठानकोट पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने उन्हें सुरक्षा प्रदान नहीं की।
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा मुस्लिम धर्म में विवाह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अधीन हैं। मुस्लिम धर्म में यौन परिपक्वता आने के बाद शादी को वैध माना जाता है। इसलिए यह शादी वैध है और पुलिस इन्हें सुरक्षा मुहैया कराये। क्योंकि भारत में प्रत्येक व्यक्ति को जीवन की स्वतंत्रता का अधिकार है।
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