आर्यसमाज के मैरिज सर्टिफिकेट को मान्यता नहीं: सुप्रीम कोर्ट
अनिल त्यागी एडवोकेट हाईकोर्ट इलाहाबाद
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इलाहाबाद। कोर्ट में ऐसे प्रमाणपत्रों की बाढ़ आ गई है', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्य समाज के 'प्रधान' द्वारा जारी किए गए विवाह प्रमाणपत्रों की जांच के आदेश दिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को आर्य समाज मंदिर के एक 'प्रधान' द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्रों की जांच के आदेश दिए। अदालत ने यह आदेश कपिल कुमार नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया, जिसमें तर्क दिया गया था कि उसने लड़की के साथ शादी कर ली है और इसलिए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करना कानूनन गलत है। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता के विवाह के दावे पर संदेह व्यक्त किया, जो कि संतोष कुमार शास्त्री नामक एक व्यक्ति द्वारा जारी किए गए विवाह प्रमाण पत्र पर आधारित था, जिसने खुद को आर्य समाज कृष्ण नगर, प्रयागराज का प्रधान होने का दावा किया था।शास्त्री ने पुजारी के रूप में विवाह कराने का दावा किया और विवाह को संपन्न किया।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने कहा कि कोर्ट में उन रिट याचिकाओं की बाढ़ आ गई है जिनमें संतोष कुमार शास्त्री द्वारा इस तरह के प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं।कोर्ट ने यह भी नोट किया कि अगस्त 2016 में, हाईकोर्ट ने शास्त्री को किसी भी विवाह प्रमाण पत्र को जारी करने से रोक दिया था, हालांकि, उन्होंने प्रमाण पत्र जारी करना जारी रखा।
इस पृष्ठभूमि में जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रजनीश कुमार की खंडपीठ ने कहा, "हमें परेशान करता है संतोष कुमार शास्त्री द्वारा उन व्यक्तियों के संबंध में विवाह प्रमाण पत्र जारी करना, जिन्हें वह जानते भी नहीं हैं और न ही कोई जिम्मेदार व्यक्ति उनकी पहचान करता है।संतोष कुमार शास्त्री प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं, जो विवाह पंजीकरण के या इसी तरह के अन्य उद्देश्यों के लिए आधार बनाता है। इनमें से ज्यादातर मामलों में लड़कियां नाबालिग हैं और आधार कार्ड के आधार पर विवाह पंजीकृत किए जा रहे हैं।इसलिए,केवल आधार कार्ड के आधार पर दायर की जा रही याचिकाओं की बड़ी संख्या को देखते हुए, न्यायालय ने मामले की जांच का देना उचित समझा।
न्यायालय ने आदेश में कहा-इसलिए, हम वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, प्रयागराज को निर्देश देते हैं कि आर्य समाज कीडगंज, प्रयागराज के कथित प्रधान संतोष कुमार शास्त्री के माध्यम से विवाह प्रमाण पत्र जारी करने के तरीके और कार्यप्रणाली की जांच की जाए। एक जांच की जाए कि क्या वास्तव में शादियां की जा रही हैं या यह सिर्फ शादी के प्रमाण पत्र जारी हो रहे हैं।
कोर्ट ने आदेश दिया है कि मामले की जांच सर्किल ऑफिसर के रैंक से नीचे के अधिकारी के माध्यम से नहीं कराई जाएगी और तय की गई अगली तारीख (8 अगस्त, 2022) तक रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा, अदालत ने शास्त्री को उन सभी विवाहों के रजिस्टर पेश करने का निर्देश दिया, जो पिछले पांच वर्षों में उनके द्वारा किए गए हैं, खासकर जब से 10.8.2016 को उनके खिलाफ विशिष्ट संयम आदेश पारित किया गया था।
अदालत ने मामले की जांच के आदेश देने के कारणों को भी दर्ज किया क्योंकि उसने नोट किया कि यदि पार्टियों के बीच भविष्य में कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो संबंधित व्यक्ति द्वारा प्रमाण पत्र जारी करने के तरीके से विवाह के तथ्य को निर्धारित करना बहुत मुश्किल होगा।
केस टाइटल- कपिल कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य
[CRIMINAL MISC. WRIT PETITION No. - 5180 of 2022]
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