मै ना बताऊंगा और ना ही लिखूंगा, क्योंकि कोई भी हमदर्द और भरोसे के लायक नहीं
एडवोकेट इन्तखाब आजाद
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सहारनपुर।समाज को सीधा रास्ता बताने, अच्छी तथा सच्ची बात लिखने और कहने वालों की नहीं बल्कि पाखंडवाद फैलाने, हिंदू मुस्लिम के नाम पर जनता को गुमराह कर बेवकूफ बनाने वाले तथाकथित नेताओं और धर्मगुरुओं की ही जरूरत है। क्योंकि समाज सच सुनना और जानना ही नहीं चाहता। समाज में अधिकतर लोग निजी स्वार्थ पर राजनीति करने, धर्म का प्रचार प्रसार करने एवं कराने वालों के मकड़जाल में भयंकर तरीके से फंसा है और वो कहीं ना कहीं, स्वामी भक्ति में अंधभक्त होकर ऐसे लोगो से जुड़े हैं, जो बात तो धर्म, समाज और देश की करते हैं, लेकिन विकास अपना और अपने परिवार का ही करते हैं और जनता को मिलती है सिर्फ और सिर्फ हिंदू मुस्लिम के नाम पर नफरत, जो विनाश का ही कारण बन रही है।
सच बेइंतहा कड़वा होता है, हर किसी को क्या--? किसी को भी हजम नहीं होता। किसी ने अच्छा काम किया और उसको लिख दिया,तो समाज का एक वर्ग बोलता है,कि पैसा दे दिया होगा, इसलिए गुणगान कर रहे हैं और अगर पर्दे के पीछे का कड़वा सच एवं षड्यंत्र लिख दिया, तो फिर यही लोग कहते हैं कि पैसा नहीं दिया होगा, इसलिए खिलाफ लिख रहे हैं। यानी चित्त भी इनकी और पट्ट इनकी। भले इसमें समाज को भारी नुकसान हो और इंसानियत पूरी तरीके से मर जाए, मगर यह लोग बाज नहीं आएंगे। इसलिए अब मैं इस पर गंभीर विचार मंथन कर रहा हूं, कि ना तो मै सच लिखूं और ना ही बोलूं, जो हो रहा है, उसको हो जाने दूं। क्योंकि सच के साथ कोई खड़ा नहीं होता और झूठ के साथ हर कोई कदमताल करता दिखाई देता है। मैं हर रोज देखता हूं कि सच अकेला,तन्हा बीच चौराहे पर नंगा खड़ा होकर अपनी बेबसी और लाचारी पर आंसू बहाता है, उस गरीब के साथ कोई नहीं होता।SC ST OBC और इनसे धर्म परिवर्तित अल्पसंख्यक समाज, विशेषकर मुस्लिमो में, क्या कोई एक ऐसे नेता और धर्म गुरु का नाम बता सकता है,कि जो अपने समाज के दबे, कुचले, शोषित, अधिकार वंचित वर्ग के प्रति गंभीर और ईमानदार हो--? शायद हरगिज़ नहीं। अब मैं राजनीतिक और धार्मिक मुद्दों पर,जो बेबाक और सच लिखता हूं,उससे एक वर्ग दुखी है। इसलिए मैं सोच रहा हूं कि सच लिखना और बोलना छोड़ दूं, क्योंकि वैसे भी झूठ के आगे सच की औकात ही क्या है--? सत्ता के गलियारों से लेकर, व्यवस्था की कुर्सियों तक, धर्म के क्षेत्र से लेकर तिजारत तक, जहां जिसका मौका लग रहा है, वो बडे पद पर हो या छोटे पर, सबके सब आपस मे तालमेल बनाकर जनता को ठगने और देश को लूटने पर लगे हैं। यह बात मुझे मेरे एक शुभचिंतक एक्सपोर्टर ने समझायी,कि एडवोकेट इन्तखाब आजाद जी,आज व्यवस्था इतनी भ्रष्ट हो चुकी है कि झूठों की मंडी में सच बीच चौराहे पर हर रोज चीखता, चिल्लाता रहता है और जब उसकी कोई नहीं सुनता,तो आखिर में सच दम तोड़ देता है। इसलिए मैं कहता हूं, कि आप एक डायनेमिक और योग्य व्यक्ति हैं यदि समाज में पद तथा रुतबा हासिल करना है, तो व्यवस्था के साथ चलो, व्यवस्था के विरुद्ध नहीं। यही बात एक बार मुझे प्रदेश के एक बहुत बड़े आला अफसर ने लखनऊ मे समझाई थी। कि एडवोकेट इन्तखाब आजाद जी आप व्यवस्था के साथ तालमेल बिठाकर जियो और जीने दो, का फार्मूला अपनाओ, तो आप बहुत कम समय में, बिना संघर्ष किए उस मुकाम पर पहुंच जाओगे, जहां आपने सोचा भी नहीं होगा। और हॉ! यदि मैं इन लोगों की, इस बात को देखूं, तो यह सब कुछ हमारी आंखों के सामने सच होता दिख भी रहा है।
आम आदमी पार्टी खेल प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष इस्मा जहीर कहती हैं कि यह बात सच है कि सच को बार-बार प्रताड़ित और अपमानित किया जाता है, यह भी सच है कि सच परेशान भी होता है मगर कड़वा सच यह भी है कि जब अच्छे और सच्चे लोग कमर कसकर, संगठित होकर, झूठो और मक्कारो के खिलाफ मैदान में उतर जाते हैं, तो झूठ एक दिन सरेआम नंगा होकर पराजित हो जाता है। जिसका उदाहरण दिल्ली में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल और फिर पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है, वहां सच्चो के सामने झूठों का बोरिया बिस्तर बंध गया है।
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