सीएम योगी ने मुख्तार के अपराध पर लगाया ब्रेक, माफिया का अभेद्य किला ढहा--1057 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति हुई जब्त या ध्वस्त
सीएम योगी ने मुख्तार के अपराध पर लगाया ब्रेक, माफिया का अभेद्य किला ढहा••कोर्ट में प्रभावी पैरवी कर पुलिस और अभियोजन के समन्वय से 44 साल में पहली बार माफिया मुख्तार को कोर्ट से हुई सजा••अवैध रूप से कमाई गई मुख्तार और उसके शागिर्दों की 1057 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति हुई जब्त या ध्वस्तविरेन्द्र चौधरी
सहारनपुर। लखनऊ सूचना विभाग द्वारा जारी जानकारी के अनुसार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफिया मुख्तार के अपराध पर न सिर्फ ब्रेक लगाया है। बल्कि, उसके अभेद्य किले को भी ढहा दिया है। पुलिस और अभियोजन के समन्वय से कोर्ट में प्रभावी पैरवी कर 44 साल में पहली बार माफिया मुख्तार को कोर्ट से सजा हुई है। जबकि पिछली सरकारों में मुख्तार का वर्चस्व साल दर साल बढ़ता रहा और मुकदमे होते रहे, लेकिन कांग्रेस, बसपा और सपा की सरकारें संरक्षण देती रहीं। 80 से 90 के दशक तक कांग्रेस की सरकार ने जहां उसके आपराधिक साम्राज्य को खाद-पानी दिया। वहीं 90 के बाद से सपा और बसपा अपना 'राजनीतिक महल' बनाने के लिए मुख्तार का सहारा लेती रहीं।
मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया का वह नाम जो चार दशक से ज्यादा समय तक बाबा विश्वनाथ और गुरु गोरक्षनाथ की पुण्य भूमि पूर्वांचल को निर्दोषों के खून से लाल करता रहा। एक ऐसा अपराधी, जो खुली जीप में सड़कों पर असलहा लहराते हुए घूमता था और उसकी गुंडई के सामने कांग्रेस, जनता दल, सपा और बसपा की तत्कालीन सरकारें बौनी नजर आती थीं। न जाने कितने सीएम आए-गए। किसी के अच्छे दिन आएं हों या ना, लेकिन मुख्तार से उसके अच्छे दिन कोई छीन नहीं पाया बल्कि उसे खुली छूट देती रहीं। यही नहीं ये पार्टियां समय-समय पर कभी अपने सिंबल पर चुनाव लड़वाकर या फिर अंदर खाने सपोर्ट देकर उसे माननीय बनाती रहीं। कोर्ट भी गवाहों के मुकरने और सबूतों के नष्ट होने के चलते असहाय सी नजर आती थी। मुख्तार और उसके जैसे माफिया की उल्टी गिनती उस दिन शुरू हुई जब बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की सत्ता संभाली। अपराध और अपराधियों के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस नीति का नतीजा है कि 44 वर्ष में पहली बार किसी मामले में इतने खूंखार अपराधी को सजा हुई है।
मुख्तार के गुनाहों की फेहरिस्त वर्ष 1978 से शुरू होती है, जिस पर ब्रेक योगी सरकार ने लगाया। जिस मुकदमे में मुख्तार को सजा हुई है, वह 19 साल पुराना है। उसने उसे भी मनमुताबिक मैनेज कर लिया था। लेकिन सरकार की प्रभावी पैरवी ने उसके मैनेजमेंट को ध्वस्त कर दिया। 23 अप्रैल 2003 में आलमबाग में दर्ज हुए मुकदमे में दो महीने बाद ही 28 जून 2003 को आरोप तय हो गए थे। मुकदमे के वादी एसके अवस्थी का कोर्ट में मुख्य परीक्षण भी 12 दिसंबर 2003 को हो गया था। उस दौरान एसके अवस्थी की उम्र करीब 61 वर्ष थी। इसके बाद करीब 10 वर्षों तक उन्हें एक बार भी कोर्ट में नहीं बुलाया गया। 25 फरवरी 2014 को मुख्तार की अप्लीकेशन पर एसके अवस्थी को जिरह के लिए बुलाया गया। 10 वर्ष बाद वह अपने बयान से पलट गए। इस पर 23 दिसंबर 2020 को ट्रायल कोर्ट ने मुख्तार को दोषमुक्त करार दिया। 27 अप्रैल 2021 को इस मामले में हाई कोर्ट में अपील दाखिल की गई और सरकार ने मजबूत पैरवी की। इस आधार पर लखनऊ खंडपीठ के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने कहा कि वादी का 10 साल के बाद क्रॉस करवाया गया। उस दौरान उनकी उम्र 71 वर्ष थी। इससे विश्वसनीयता खतरे में पड़ती है। साथ ही पीठ ने 2020 में विशेष न्यायाधीश, एमपी एमएलए, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लखनऊ द्वारा मुख्तार अंसारी को बरी करने के आदेश को भी रद्द कर दिया। इसके अलावा रिवाल्वर तानने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में मुख्तार को 7 साल की सजा सुनाई और 37,000 रूपये का जुर्माना भी लगाया।
पंजाब से लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक हुई पैरवी
सीएम योगी के माफिया के खिलाफ सख्त रुख के कारण पंजाब की जेल से मुख्तार को वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पैरवी हुई और उसे अप्रैल 2021 को वापस यूपी लाया गया और तबसे वह बांदा जेल में बंद है। उसके खिलाफ 1978 में गाजीपुर में जान से मारने की धमकी देने के मामले में एनसीआर दर्ज हुई थी, जिसके आठ साल बाद 1986 में गाजीपुर में हत्या का केस दर्ज हुआ। इसके बाद वर्ष 2022 तक मुख्तार के विरुद्ध यूपी व दिल्ली में अनेक मुकदमे दर्ज हुए। इनमें सर्वाधिक 22 मुकदमे गाजीपुर में दर्ज हुए।
माफिया की अवैध संपत्ति पर चला बुलडोजर
पुलिस ने अवैध रूप से कमाई गई मुख्तार और उसके शागिर्दों की 1057 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त या ध्वस्त की है। यूपी पुलिस ने अब तक मुख्तार की 248 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त की है, जबकि 282 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चला है। सरकार ने गैंगस्टर एक्ट के तहत माफिया और उसके करीबियों की 246 करोड़ 65 लाख 90 हजार 939 रुपए की संपत्तियां जब्त की है। अवैध कब्जे से करीब 281 करोड़ की संपत्तियां या तो मुक्त कराई गई हैं या ध्वस्त कर दी गई।
माफिया मुख्तार अंसारी का आपराधिक इतिहास
44 वर्षों में मुख्तार पर पूरे देश में 59 मुकदमे दर्ज हुए हैं। सबसे बड़ा मुकदमा मऊ के दक्षिण टोला थाने में दर्ज दोहरे हत्याकांड का है। साल 2009 में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ़ मन्ना की दिन दहाड़े बाइक सवार हमलावरों ने एके 47 का इस्तेमाल कर हत्या कर दी थी। हत्या का आरोप माफ़िया मुख्तार अंसारी पर लगा था। इस मर्डर केस में मन्ना का मुनीम राम सिंह मौर्य चश्मदीद गवाह था। गवाह होने के चलते राम सिंह मौर्य को सतीश नाम का एक गनर भी दिया गया था। सालभर के अंदर ही आरटीओ ऑफिस के पास राम सिंह मौर्य और गनर सतीश को भी मौत के घाट उतार दिया गया था। दूसरा मामला वाराणसी के चेतगंज थाने में दर्ज है। इसमें मुख्तार अंसारी पर कांग्रेस नेता अजय राय के भाई की हत्या का आरोप है। यह मुकदमा इस वक़्त गवाही में चल रहा है। कांग्रेस नेता अजय राय इस मामले में वादी और गवाह दोनों हैं। इस मामले में भी तेजी से सुनवाई हो रही है।
तीसरा मुकदमा आजमगढ़ जिले में हुई हत्या से जुड़ा हुआ है. मुख्तार पर इस मामले में भी आईपीसी की धारा 302 यानी हत्या और 120B यानी साजिश रचने का है। इस मामले की एफआईआर आजमगढ़ के तरवा थाने में दर्ज हुई थी। मुकदमा यूपी सरकार बनाम राजेंद्र पासी व अन्य के नाम से चल रहा है। हालांकि इस मामले में अभी मुख्तार पर आरोप तय नहीं हुए हैं।मुख्तार के खिलाफ चौथा मुकदमा हत्या के प्रयास से जुड़ा हुआ है। यह मामला गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में आईपीसी की धारा 307 और 120B के तहत दर्ज हुआ था। मुक़दमे की प्रक्रिया साल 2010 में ही शुरू हो गई थी। इसमें मुख्य आरोपी सोनू यादव केस से बरी हो चुका है। मुख्तार का मामला अभी ट्रायल की स्टेज पर है और काफी दिनों से सुनवाई बंद है।
मुख्तार के खिलाफ पांचवां मामला फर्जी शस्त्र लाइसेंस हासिल करने से जुड़ा हुआ है। यह मुकदमा गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में दर्ज हुआ था। इसमें मुख्तार के खिलाफ दो केस दर्ज हुए हैं। पहला आईपीसी की धारा 419, 420 और 467 यानी धोखाधड़ी व फर्जीवाड़े का है, तो दूसरा आर्म्स एक्ट से जुड़ा हुआ है। इस मामले में अभी मुख्तार पर अदालत से आरोप तय होना बाकी है। आरोप तय होने के बाद ही ट्रायल यानी मुकदमा शुरू होगा। मुख्तार के खिलाफ 6वां मामला वाराणसी के भेलूपुर थाने में धमकी देने से जुड़ा हुआ है। यह मुकदमा साल 2012से शुरू हुआ है। इसमें आईपीसी की धारा 506 के तहत एफआईआर दर्ज है। इस मामले में अभी मुख्तार पर आरोप तय नहीं हुए हैं। मुक़दमे का केस नंबर 354/12 है।
मुख्तार के खिलाफ प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में गैंगस्टर के चार मुक़दमे चल रहे हैं। इन चारों में आरोप पत्र दाखिल हो चुके हैं। अदालत ने चारों मामलों में मुख्तार पर आरोप भी तय कर दिए हैं। चार में से तीन मामले गाज़ीपुर जिले के अलग-अलग थानों के हैं, जबकि चौथा मऊ जिले का है. पहला मामला गाज़ीपुर के कोतवाली थाने का है। इस मामले में आरोप पत्र दाखिल हैं और मामला साक्ष्य यानी ट्रायल के स्तर पर है, मुक़दमे का नंबर 7/12 है। मुख्तार के खिलाफ 8वां मामला भी गैंगस्टर का ही है। यह मामला गाज़ीपुर के करांडा थाने से जुड़ा हुआ है। इस मामले में आरोप तय हैं और मुक़दमे का ट्रायल पेंडिंग है। स्पेशल ट्रायल के इस मुक़दमे का नंबर 557/12 है।
माफिया के खिलाफ 9वां मामला भी गैंगस्टर एक्ट के तहत की गई कार्रवाई का ही है। इस मामले में गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद कोतवाली में केस दर्ज किया गया था। यह मुकदमा भी ट्रायल के लेवल पर है, इसका केस नंबर 90/12 है। मुख्तार के खिलाफ 10वां और आख़िरी मुकदमा भी गैंगस्टर एक्ट का ही है। इस मामले में मऊ जिले के दक्षिण टोला थाने में केस दर्ज है। मुक़दमे का ट्रायल साल 2012 में शुरू हुआ था। इस मामले में अदालत से मुख्तार पर आरोप तय हो चुके हैं, इस मुक़दमे का नंबर 2/12 है।
वाराणसी/-दुर्दांत माफिया है मुख्तार अंसारी, अवधेश राय हत्याकांड में भी सजा की उम्मीद जगी- अजय राय
मुख्तार की सजा पर जय राय का कहना है कि मैं अपने भाई अवधेश राय की हत्या का मुकदमा 32 साल से लड़ रहा हूं। मुख्तार अंसारी उत्तर भारत का माफिया और दुर्दांत अपराधी है। तमाम मुश्किलों के बावजूद हमने मुकदमे से वापस नही हुए। जब मुख्तार का जलवा था तब मेरी गवाही हुई थी। अदालत ने मुख्तार को सजा सुनाकर हम जैसे लोगों के विश्वास को बढ़ा दिया है। बड़े भाई की हत्या के बाद मेरा परिवार टूटकर बिखर गया था। 21 साल की उम्र से मुकदमा लड़ रहा हूं। वाराणसी के एमपी/एमएलए कोर्ट में चले रहे अवधेश राय हत्याकांड में बयान और जिरह की कार्रवाई हो चुकी है। मुझे पूरा विश्वास है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल हमें न्याय मिलेगा और इस दुर्दांत अपराधी को कठोर से कठोर सजा मिलेगी।न्याय और असमानता के युद्ध को हमें तो लड़ना है जीतना है आप साथ हैं तो भी नहीं है तो भी--भगत सिंह वर्मा विरेन्द्र चौधरी 9410201834
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफिया मुख्तार के अपराध पर न सिर्फ ब्रेक लगाया है। बल्कि, उसके अभेद्य किले को भी ढहा दिया है। पुलिस और अभियोजन के समन्वय से कोर्ट में प्रभावी पैरवी कर 44 साल में पहली बार माफिया मुख्तार को कोर्ट से सजा हुई है। जबकि पिछली सरकारों में मुख्तार का वर्चस्व साल दर साल बढ़ता रहा और मुकदमे होते रहे, लेकिन कांग्रेस, बसपा और सपा की सरकारें संरक्षण देती रहीं। 80 से 90 के दशक तक कांग्रेस की सरकार ने जहां उसके आपराधिक साम्राज्य को खाद-पानी दिया। वहीं 90 के बाद से सपा और बसपा अपना 'राजनीतिक महल' बनाने के लिए मुख्तार का सहारा लेती रहीं।
मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया का वह नाम जो चार दशक से ज्यादा समय तक बाबा विश्वनाथ और गुरु गोरक्षनाथ की पुण्य भूमि पूर्वांचल को निर्दोषों के खून से लाल करता रहा। एक ऐसा अपराधी, जो खुली जीप में सड़कों पर असलहा लहराते हुए घूमता था और उसकी गुंडई के सामने कांग्रेस, जनता दल, सपा और बसपा की तत्कालीन सरकारें बौनी नजर आती थीं। न जाने कितने सीएम आए-गए। किसी के अच्छे दिन आएं हों या ना, लेकिन मुख्तार से उसके अच्छे दिन कोई छीन नहीं पाया बल्कि उसे खुली छूट देती रहीं। यही नहीं ये पार्टियां समय-समय पर कभी अपने सिंबल पर चुनाव लड़वाकर या फिर अंदर खाने सपोर्ट देकर उसे माननीय बनाती रहीं। कोर्ट भी गवाहों के मुकरने और सबूतों के नष्ट होने के चलते असहाय सी नजर आती थी। मुख्तार और उसके जैसे माफिया की उल्टी गिनती उस दिन शुरू हुई जब बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की सत्ता संभाली। अपराध और अपराधियों के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस नीति का नतीजा है कि 44 वर्ष में पहली बार किसी मामले में इतने खूंखार अपराधी को सजा हुई है।
मुख्तार के गुनाहों की फेहरिस्त वर्ष 1978 से शुरू होती है, जिस पर ब्रेक योगी सरकार ने लगाया। जिस मुकदमे में मुख्तार को सजा हुई है, वह 19 साल पुराना है। उसने उसे भी मनमुताबिक मैनेज कर लिया था। लेकिन सरकार की प्रभावी पैरवी ने उसके मैनेजमेंट को ध्वस्त कर दिया। 23 अप्रैल 2003 में आलमबाग में दर्ज हुए मुकदमे में दो महीने बाद ही 28 जून 2003 को आरोप तय हो गए थे। मुकदमे के वादी एसके अवस्थी का कोर्ट में मुख्य परीक्षण भी 12 दिसंबर 2003 को हो गया था। उस दौरान एसके अवस्थी की उम्र करीब 61 वर्ष थी। इसके बाद करीब 10 वर्षों तक उन्हें एक बार भी कोर्ट में नहीं बुलाया गया। 25 फरवरी 2014 को मुख्तार की अप्लीकेशन पर एसके अवस्थी को जिरह के लिए बुलाया गया। 10 वर्ष बाद वह अपने बयान से पलट गए। इस पर 23 दिसंबर 2020 को ट्रायल कोर्ट ने मुख्तार को दोषमुक्त करार दिया। 27 अप्रैल 2021 को इस मामले में हाई कोर्ट में अपील दाखिल की गई और सरकार ने मजबूत पैरवी की। इस आधार पर लखनऊ खंडपीठ के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने कहा कि वादी का 10 साल के बाद क्रॉस करवाया गया। उस दौरान उनकी उम्र 71 वर्ष थी। इससे विश्वसनीयता खतरे में पड़ती है। साथ ही पीठ ने 2020 में विशेष न्यायाधीश, एमपी एमएलए, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लखनऊ द्वारा मुख्तार अंसारी को बरी करने के आदेश को भी रद्द कर दिया। इसके अलावा रिवाल्वर तानने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में मुख्तार को 7 साल की सजा सुनाई और 37,000 रूपये का जुर्माना भी लगाया।
पंजाब से लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक हुई पैरवी
सीएम योगी के माफिया के खिलाफ सख्त रुख के कारण पंजाब की जेल से मुख्तार को वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पैरवी हुई और उसे अप्रैल 2021 को वापस यूपी लाया गया और तबसे वह बांदा जेल में बंद है। उसके खिलाफ 1978 में गाजीपुर में जान से मारने की धमकी देने के मामले में एनसीआर दर्ज हुई थी, जिसके आठ साल बाद 1986 में गाजीपुर में हत्या का केस दर्ज हुआ। इसके बाद वर्ष 2022 तक मुख्तार के विरुद्ध यूपी व दिल्ली में अनेक मुकदमे दर्ज हुए। इनमें सर्वाधिक 22 मुकदमे गाजीपुर में दर्ज हुए।
माफिया की अवैध संपत्ति पर चला बुलडोजर
पुलिस ने अवैध रूप से कमाई गई मुख्तार और उसके शागिर्दों की 1057 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त या ध्वस्त की है। यूपी पुलिस ने अब तक मुख्तार की 248 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त की है, जबकि 282 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चला है। सरकार ने गैंगस्टर एक्ट के तहत माफिया और उसके करीबियों की 246 करोड़ 65 लाख 90 हजार 939 रुपए की संपत्तियां जब्त की है। अवैध कब्जे से करीब 281 करोड़ की संपत्तियां या तो मुक्त कराई गई हैं या ध्वस्त कर दी गई।
माफिया मुख्तार अंसारी का आपराधिक इतिहास
44 वर्षों में मुख्तार पर पूरे देश में 59 मुकदमे दर्ज हुए हैं। सबसे बड़ा मुकदमा मऊ के दक्षिण टोला थाने में दर्ज दोहरे हत्याकांड का है। साल 2009 में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ़ मन्ना की दिन दहाड़े बाइक सवार हमलावरों ने एके 47 का इस्तेमाल कर हत्या कर दी थी। हत्या का आरोप माफ़िया मुख्तार अंसारी पर लगा था। इस मर्डर केस में मन्ना का मुनीम राम सिंह मौर्य चश्मदीद गवाह था। गवाह होने के चलते राम सिंह मौर्य को सतीश नाम का एक गनर भी दिया गया था। सालभर के अंदर ही आरटीओ ऑफिस के पास राम सिंह मौर्य और गनर सतीश को भी मौत के घाट उतार दिया गया था। दूसरा मामला वाराणसी के चेतगंज थाने में दर्ज है। इसमें मुख्तार अंसारी पर कांग्रेस नेता अजय राय के भाई की हत्या का आरोप है। यह मुकदमा इस वक़्त गवाही में चल रहा है। कांग्रेस नेता अजय राय इस मामले में वादी और गवाह दोनों हैं। इस मामले में भी तेजी से सुनवाई हो रही है।
तीसरा मुकदमा आजमगढ़ जिले में हुई हत्या से जुड़ा हुआ है. मुख्तार पर इस मामले में भी आईपीसी की धारा 302 यानी हत्या और 120B यानी साजिश रचने का है। इस मामले की एफआईआर आजमगढ़ के तरवा थाने में दर्ज हुई थी। मुकदमा यूपी सरकार बनाम राजेंद्र पासी व अन्य के नाम से चल रहा है। हालांकि इस मामले में अभी मुख्तार पर आरोप तय नहीं हुए हैं।मुख्तार के खिलाफ चौथा मुकदमा हत्या के प्रयास से जुड़ा हुआ है। यह मामला गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में आईपीसी की धारा 307 और 120B के तहत दर्ज हुआ था। मुक़दमे की प्रक्रिया साल 2010 में ही शुरू हो गई थी। इसमें मुख्य आरोपी सोनू यादव केस से बरी हो चुका है। मुख्तार का मामला अभी ट्रायल की स्टेज पर है और काफी दिनों से सुनवाई बंद है।
मुख्तार के खिलाफ पांचवां मामला फर्जी शस्त्र लाइसेंस हासिल करने से जुड़ा हुआ है। यह मुकदमा गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में दर्ज हुआ था। इसमें मुख्तार के खिलाफ दो केस दर्ज हुए हैं। पहला आईपीसी की धारा 419, 420 और 467 यानी धोखाधड़ी व फर्जीवाड़े का है, तो दूसरा आर्म्स एक्ट से जुड़ा हुआ है। इस मामले में अभी मुख्तार पर अदालत से आरोप तय होना बाकी है। आरोप तय होने के बाद ही ट्रायल यानी मुकदमा शुरू होगा। मुख्तार के खिलाफ 6वां मामला वाराणसी के भेलूपुर थाने में धमकी देने से जुड़ा हुआ है। यह मुकदमा साल 2012से शुरू हुआ है। इसमें आईपीसी की धारा 506 के तहत एफआईआर दर्ज है। इस मामले में अभी मुख्तार पर आरोप तय नहीं हुए हैं। मुक़दमे का केस नंबर 354/12 है।
मुख्तार के खिलाफ प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में गैंगस्टर के चार मुक़दमे चल रहे हैं। इन चारों में आरोप पत्र दाखिल हो चुके हैं। अदालत ने चारों मामलों में मुख्तार पर आरोप भी तय कर दिए हैं। चार में से तीन मामले गाज़ीपुर जिले के अलग-अलग थानों के हैं, जबकि चौथा मऊ जिले का है. पहला मामला गाज़ीपुर के कोतवाली थाने का है। इस मामले में आरोप पत्र दाखिल हैं और मामला साक्ष्य यानी ट्रायल के स्तर पर है, मुक़दमे का नंबर 7/12 है। मुख्तार के खिलाफ 8वां मामला भी गैंगस्टर का ही है। यह मामला गाज़ीपुर के करांडा थाने से जुड़ा हुआ है। इस मामले में आरोप तय हैं और मुक़दमे का ट्रायल पेंडिंग है। स्पेशल ट्रायल के इस मुक़दमे का नंबर 557/12 है।
माफिया के खिलाफ 9वां मामला भी गैंगस्टर एक्ट के तहत की गई कार्रवाई का ही है। इस मामले में गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद कोतवाली में केस दर्ज किया गया था। यह मुकदमा भी ट्रायल के लेवल पर है, इसका केस नंबर 90/12 है। मुख्तार के खिलाफ 10वां और आख़िरी मुकदमा भी गैंगस्टर एक्ट का ही है। इस मामले में मऊ जिले के दक्षिण टोला थाने में केस दर्ज है। मुक़दमे का ट्रायल साल 2012 में शुरू हुआ था। इस मामले में अदालत से मुख्तार पर आरोप तय हो चुके हैं, इस मुक़दमे का नंबर 2/12 है।
वाराणसी/-दुर्दांत माफिया है मुख्तार अंसारी, अवधेश राय हत्याकांड में भी सजा की उम्मीद जगी- अजय राय
मुख्तार की सजा पर जय राय का कहना है कि मैं अपने भाई अवधेश राय की हत्या का मुकदमा 32 साल से लड़ रहा हूं। मुख्तार अंसारी उत्तर भारत का माफिया और दुर्दांत अपराधी है। तमाम मुश्किलों के बावजूद हमने मुकदमे से वापस नही हुए। जब मुख्तार का जलवा था तब मेरी गवाही हुई थी। अदालत ने मुख्तार को सजा सुनाकर हम जैसे लोगों के विश्वास को बढ़ा दिया है। बड़े भाई की हत्या के बाद मेरा परिवार टूटकर बिखर गया था। 21 साल की उम्र से मुकदमा लड़ रहा हूं। वाराणसी के एमपी/एमएलए कोर्ट में चले रहे अवधेश राय हत्याकांड में बयान और जिरह की कार्रवाई हो चुकी है। मुझे पूरा विश्वास है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल हमें न्याय मिलेगा और इस दुर्दांत अपराधी को कठोर से कठोर सजा मिलेगी।न्याय और असमानता के युद्ध को हमें तो लड़ना है जीतना है आप साथ हैं तो भी नहीं है तो भी--भगत सिंह वर्मा विरेन्द्र चौधरी 9410201834
Comments
Post a Comment