डी पी सिंह
मेरठ। कभी कभी कुछ लम्हें,कुछ बातें, कुछ यादें,कुछ घटनाएं जीवन का हिस्सा बन जाती है। जिसे आप चाहकर भी नहीं भूला सकते। ऐसी ही एक घटना रतन टाटा के साथ जुड़ी हुई है। जिसे वो कभी नहीं भूला पाये।
रतन टाटा ने अपने एक इंटरव्यू के सवाल के जवाब में बताया कि वो खुशियों के कईं चरणों से गुजरें है। लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा खुशी उस वक्त मिली,जब एक बच्चे ने उनसे कहा सर मै आपका चेहरा याद रखना चाहता हुं,ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं तो आपको पहचान सकुं।
रतन टाटा ने अपने इंटरव्यू में खुशियों के कईं चरणों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें बहुत मौके मिले जब वो बहुत खुश हुए। लेकिन असली खुशी का उस दिन अहसास हुआ जब उन्हें एक बच्चे ने स्वर्ग में मिलकर उन्हें पहचान लेने की बात कही। रतन टाटा के अनुसार ये ही वो पल था जब उन्हें सच्ची खुशी का अहसास हुआ। वो अहसास आज तक उनके साथ साथ चल रहा है।
रतन टाटा बताते हैं एक बार उनके एक मित्र ने विकलांग बच्चों के लिए व्हील चेयर खरीदने का आग्रह किया तो उन्होंने 200 व्हील चेयर खरीद ली। मित्र ने फिर आग्रह किया कि बच्चों को वो अपने हाथों से व्हील चेयर भेंट करें।
रतन टाटा के अनुसार जब उन्होंने बच्चों को व्हील चेयर भेंट की,तो ऐसा अहसास हुआ जैसे वो किसी पिकनिक स्पॉट पर आ गये हो। विकलांग बच्चे व्हील चेयर पर इधर उधर दौड़ रहे थे। तभी एक बच्चे ने आकर उनकी टांग पकड़ ली,जब उन्होंने टांग छुड़ाकर बच्चे से पुछा क्या आपको कुछ और चाहिए तो बच्चे ने कहा,मैं आपके चेहरे को याद रखना चाहता हूं ताकि जब हम स्वर्ग में मिलें तो मैं आपको पहचान सकुं।एक बार फिर आपका व्हील चेयर के लिए धन्यवाद कर सकुं। ये ही वो क्षण था,जब उन्हें सच्ची खुशी का अहसास हुआ और उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। आपको भी ऐसा कुछ करना चाहिए कि जब आपको अहसास हो सके कि आज आपने सच्ची खुशी का अहसास किया है।
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