एडवोकेट डॉक्टर सैयद रिजवान अहमद एक सामाजिक-धार्मिक कानूनी राजनीतिक टिप्पणीकार हैं, जो अपने स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं। एक बड़े यूट्यूबर भी है। दुनिया के लोग उन्हें पढ़ते हैं,सुनते हैं। पूर्णतया राष्ट्रवादी व्यक्ति हैं।आज उनकी एक पूरानी वीडियो देखी, जिसमें हिंदू संस्कृति को लेकर उन्होंने हिंदूओं को समझाने की कोशिश करी है। उन्हीं के शब्दों में उनकी बात प्रस्तुत कर रहा हुं। उनके इस कथन की वीडियो यूट्यूब पर मौजूद है। आप face to face पर जाकर सर्च कर सकते हैं।
विशेष--इस लेख को पूरा पढ़ें वरना पछताओगे
प्रस्तुतकर्त्ता विरेन्द्र चौधरी
एडवोकेट डॉक्टर सैयद रिजवान अहमद हिंदुओं के लिए कह रहे है कि तुम लोग खुद में अपनी आस्था को लेकर खुद में बहुत बहादुर हो।आप अमरनाथ जाते हो,आप बर्फ से नहीं डरते,आप बादल फटने से नहीं डरते,आप बाढ़ से नहीं डरते,आप आंतकवादियों की गोली से नहीं डरते। ऐसे रास्ते पर चल कर अमरनाथ जाते हो, जहां बड़े से बड़ा हिम्मती नहीं जा सकता। आपकी "हिंदूओं की" औरतें जाती है, बच्चियां जाती है, बुजुर्ग जाते हैं। वहां से उतरने के बाद, अमरनाथ के दर्शन करने के बाद तुम इतने कमजोर क्यूं हो जाते हो कि,तुमको "Help Line" हैल्प लाइन की जरूरत पड़ती है। उस देश में जहां तुम्हारी आबादी १०० करोड़ है और यहां तुम्हारी आबादी 80 प्रतिशत है। फिर भी इतना कमजोर क्यूं हो जाते हो। जब तुम इतने सकारात्मक हो, आस्था में इतने बलवान हो। ये बात 10 बार समझा चुका हुं। मुसलमानों को समझाया नहीं समझे।
एडवोकेट सैयद रिजवान अहमद कहते हैं,10 बार पहले बताया 1 बार फिर बता रहा हुं। एक हो, तिलक लगाने से शर्माओं मत। सरदार 7 मीटर की पगड़ी पहनता है,उसे गर्मी नहीं लगती,उसे शर्म नहीं लगती। आपको लगती है धोती पहनने में शर्म। आपने अपनी संस्कृति का प्रतीक धोती पहननी बंद कर दी है। सरदार को पगड़ी पहनना बुरा नहीं लगता। सरदार कांफिडेंस में रहता है, लेकिन आपको धोती पहनना बुरा लगता है। मुस्लमान भी कुर्ते और ऊंचे पायजामें में रहता है, कांफिडेंस में रहता है।उसे बुरा नहीं लगता। आप धोती रोज नहीं पहन सकते,महीने में दो चार बार ही पहनों। धोती पहनकर बाजार में जाओ, शॉपिंग मॉल में जाओ,धोती पहनकर टीका लगाकर दफ्तर में जाओ, थियेटर में पिक्चर देखने जाओ,शादी विवाह में जाओ। अगर मैं हिंदू होता तो हर रोज़ तिलक लगाता,साल में 365 दिन तिलक लगाता।ये अलग बात है मेरे ऊपर तिलक बहुत अच्छा लगता है। जब मौका मिलता है मैं तिलक लगाता हुं और जब तक नहीं मिटाता जब तक रूटीन में खुद ही ना धुल जाये। क्योंकि मुझे तिलक लगाकर गर्व महसूस होता है As a Indian - As a Bhartiya. अरे आप तो हिंदू हो, सनातन धर्म के मानने वाले हो।आपके धर्म के साथ ये चीज जुड़ी हुई है।हम भी भारतीय संस्कृति के नाम पर कभी कभी लगा लेते हैं।तुमको क्यूं शर्म आती है ? इस शर्म से हिंदू नौजवानों बाहर आओ।आपकी हिंदू महिलाएं मंगलसुत्र पहनती हैं,सिर पर सिंदूर लगाती है,माथे पर बिंदी लगाती है। और आप क्या करते हो। हिंदू औरतें ये सब कुछ करती है ये बताने के लिए हम भारतीय हैं,हमारी संस्कृति भारतीय है।
आपने देखा इतनी बड़ी पगड़ी बांधकर, बड़ी दाढ़ी रखकर भी सरदार अंदर से बड़े हैंडसम होते हैं। सरदार पगड़ी बांधेगे, दाढ़ी रखेंगे। उन्हें किसी को अपने फीचर नहीं दिखाने। पगड़ी दाढ़ी के बावजूद सरदार हैंडसम लगते हैं। मुछ कटा कर मुसलमान कोई खूबसूरत नहीं लगता,ऊंचा पायजामा पहनकर मुसलमान सुंदर नहीं लगता। फिर भी पहनते हैं, उन्हें शर्म नहीं आती। लेकिन आपको लगता है धोती पहनकर आप बैकवर्ड लगेंगे। तिलक लगाकर आप बैकवर्ड लगेंगे। चोटी रखकर आप बैकवर्ड लगेंगे। सैयद रिजवान कहते हैं तिलक को आप अपने Way of Life में लाइये।आप चोटी नहीं रख सकते तो धोती को पहनिए, तिलक लगाइये। धोती पहनने में दो चार मिनट फालतू भी लग जाये तो कोई बात नहीं।महीने में दो चार बार ही सही धोती पहनकर तिलक लगाकर स्कूल में जायें, अपने जॉब पर जाये।
डॉक्टर रिजवान अहमद समझाते हैं हिंदूओं को कि तिलक लगाना धोती कुर्ता पहनना,ये ही सकारात्मक संस्कृतिवाद है। ये ही लोगों को यूनाईटेड करेगा। मैं आप लोगों को आगाह कर रहा हुं, सलाह दे रहा हुं यूनाइटेड हो जाओ धरातल पर। ये नहीं कभी कभी भगवा पहन लिया कि,आज रामनवमीं का जुलूस है। तो वो समझ जाएंगे कि अभी नया निकाल कर लाये है फिर 364 दिन के लिए भीतर रख दिया जाएगा। कभी थाने में बवाल हुआ तो पहन लिया,भाजपा की रैली हुई तो पहन लिया। अपनी चोटी को, तिलक को,धोती कुर्ते को ,इस भगवे को अपनी कल्चर में लाइये,रूटीन में लाइये फिर आपको किसी हैल्प लाइन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। खुद ताकतवर हो जाइए, यूनाइटेड हो जाइए। आपके लिए मेरा तो ये ही संदेश है। सनातन धर्म को मानने वाले मैं ज्यादा नहीं बोल सकता क्योंकि मैं मुसलमान हुं। ज्यादा बोलुंगा तो आप में से ही 10 खड़े हो जायेंगे कि मुसलमान में ज्यादा ज्ञान आ गया है। ये हमें ज्यादा ज्ञान दे रहा है।10 लोग कहेंगे ये हमें भड़का रहा है। कुछ मुट्ठी भर लोग ही मेरी बात समझेंगे।
आगे रिजवान अहमद साहब कहते हैं समझो आने वाले 50--100 साल बाद ये ही आपके पछतावे का सबब बनेगा। मेरा आप लोगों को ये ही संदेश है आप खुद को यूनाईटेड करिये। सकारात्मक तरीके से अपनी संस्कृति को पुर्नजीवित करिये। कम से कम तिलक को अपना Way of Life बनाइये। बीच बीच में धोती कुर्ता पहनिए जो भारतीय पोशाक है,इसे Way of Life बनाइये। सिख नहीं शर्माता, मुसलमान नहीं शर्माता। फिर तुम क्यों शर्माते हो ? दरअसल आप समझते हो धोती कुर्ता और तिलक लगाने से आप बैकवर्ड लगेंगे। मुझे देखो जब भी मौका मिलता है मैं तिलक लगाता हुं,धोती पहनता हुं। अगर मैं सनातन धर्म को मानने वाला होता तो 365 दिन तिलक लगाता,धोती कुर्ता पहनता।
अंत में सैयद रिजवान अहमद बड़े विश्वास के साथ कहते हैं आज से मैं तुम्हें ड्यूटी देता हुं, नौजवान हो, बुजुर्ग हों, जहां भी जायें कम से कम तिलक लगाकर जायें।
जय हिन्द वन्देमातरम खुदा हाफिज
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