गुरू नानक की वाणी से ही गुरुमुखी लिपि अस्तित्व में आयी-प्रोफेसर मीरा गौतम

गुरू नानक की वाणी से ही गुरुमुखी लिपि अस्तित्व में आयी। पहली बार  "शब्द अंग" ईश्वर का साक्षात पर्याय बने••"शबद गायन" संगीत की विशिष्ट शैली निर्मित हुई-- प्रोफेसर मीरा गौतम 

विरेन्द्र चौधरी 

गुरू नानक की वाणी से ही गुरुमुखी लिपि अस्तित्व में आयी। पहली बार "शब्द अंग" ईश्वर का साक्षात पर्याय बने••"शबद गायन" संगीत की विशिष्ट शैली निर्मित हुई--  कबीरदास,रैदास, सूरदास,नाभादास और बाबा फ़रीद जैसे महान संत 'श्री गुरुग्रंथ साहिब ' में शामिल किये गये जिन्हें , आँखें मूँदकर प्रामाणिक माना गया है. जो, पाठालोचन और प्रक्षिप्त आदि प्रश्नों की जटिल प्रक्रियाओं से मुक्त और अबाध हैं।

 इसमें 31 राग भी शामिल हैं जिनमें, अनिवार्यतः शबद गायन किया जाता है। संगीत,साहित्य और भक्ति की यह त्रिवेणी है।

"भारतीय भाषा परिषद्" (कलकत्ता )की कर्ताधर्ता डॉ.कुसुम खेमानी जी ने अपने ' विश्व साहित्य कोश ' में सिखधर्म पर मेरा लेख शामिल किया है जो वाणी प्रकाशन, दिल्ली ने प्रकाशित किया है.उनका आभार।

अब अपनी , मैं स्वयं "साधो रचना राम बनाई" ( राग चारुकेशी ) और " राम सिमर राम सिमर " ( राग तोड़ी में निबद्ध ) पदों को गाकर सुक़ून पाती हूँँ। पुनः गुरुपर्व पर शुभकामनाओं सहित सादर

प्रोफेसर मीरा गौतम सहारनपुर जड़ौदा पांडा की निवासी है। हिंदी साहित्य, इंटरनेशनल कवियित्री है। सहारनपुर और देश की बड़ी उपलब्धि है।




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