माँ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय के नाम को बदलने की की गई मांग
सहारनपुर। मां शाकम्भरी जयन्ती पर एक लाख लोगों के हस्ताक्षर से शुरू किया जाएगा “जन जागरण अभियान”••“दिव्य शक्ति अखाड़ा” के आचार्य महामंडलेश्वर परमतत्ववेता सन्तश्री कमलकिशोर जी महाराज की अध्यक्षता में आज बेरीबाग के एक मन्दिर के प्रांगण में धर्माचार्यों ने एकत्रित होकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि माँ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी) से सम्बन्धित कॉलेजों के हजारों विद्यार्थी जब डिग्री लेकर जाएंगे तो उनकी डिग्री पर शाकुंभरी विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी) लिखा होगा, जो कि बिल्कुल गलत है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इसका शुद्ध नाम “माँ शाकम्भरी विश्वविद्यालय” होना चाहिए।
सन्त कमलकिशोर ने शास्त्रों के प्रमाण देते हुए कहा कि मार्कण्डेय पुराण, दुर्गा सप्तशती, श्रीमद् देवीभागवत, मूर्ति रहस्यम, स्कंद पुराण तथा अन्य धार्मिक प्रामाणिक पुस्तकों में शुद्ध नाम शाकम्भरी माता है ना की शाकुंभरी, शाकुंबरी या शकुंबरी । शिक्षक एवं पत्रकार चिरंजीलाल पन्त द्वारा शासन एवं प्रशासन को इस विषय पर अनेकों बार पत्र लिखे गए हैं,लेकिन शासन एवं प्रशासन द्वारा इस त्रुटि को अभी तक सुधारा नहीं गया।
भागवताचार्य पंडित श्री अनिल कोदण्ड श्यामसखा ने कहा कि सड़कों पर लोक निर्माण विभाग द्वारा लगाए गए सूचनापट्टों पर भी शाकुंभरी ही लिखा है जो कि पूर्णरूपेण गलत है। लोक निर्माण विभाग को भी चाहिए कि वह अपनी त्रुटि का शुद्धीकरण करें।
भागवताचार्य पण्डित श्री अरुण जी ने माँ शाकम्भरी देवी को सहारनपुर की ही नहीं वरन आसपास के सभी क्षेत्रों की कुलदेवी के रूप में विख्यात बताते हुए कहा कि इस पवित्र और सिद्ध क्षेत्र का वर्णन महाभारत में भी आया है। यह शक्तिपीठ है जहां लाखों लोग आकर अपनी मन्नत माँगते हैं और उनकी मन्नते पूरी होती हैं।
पण्डित श्री शिवम देव वशिष्ठ ने इसे एक अत्यंत सिद्धपीठ की संज्ञा देते हुए कहा कि मान्यताओं के अनुसार यह ऐसी शक्तिपीठ है जहां पर सती का शीश गिरा था। इसे भगवती शताक्षी का सिद्ध स्थान भी माना जाता है।
पण्डित श्री अमित देव वशिष्ठ ने कहा कि देवी के नाम का उच्चारण शुद्ध रूप से होना चाहिए। अशुद्ध उच्चारण तथा लेखन से हिंदू जनमानस की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है।
पण्डित श्री उद्धव कोदण्ड ने माँ शाकम्भरी देवी क्षेत्र को प्रत्यक्ष शाकेश्वर महादेव का सिद्धिदायक क्षेत्र बताते हुए कहा कि यह प्रछींकल से ही ऋषियों,मुनियों की तपोस्थली रहा है अतः शासन एवं प्रशासन को अतिशीघ्र संज्ञान लेकर इसका नाम शाकुंभरी से शुद्ध नाम शाकम्भरी देवी कर देना चाहिए।
पण्डित श्री राजकुमार भारद्वाज ने उपरोक्त का अनुमोदन करते हुए समाज के सभी वर्गों से इस अभियान मे जुड़ने का आह्वान किया।
सभा में सर्वसम्मति से आगामी 6 जनवरी 2023 को एक लाख लोगों के हस्ताक्षर करवाकर मुख्यमंत्री योगी श्री आदित्य नाथ जी को ज्ञापन देने का प्रस्ताव भी पारित किया गया।
सभा का संचालन श्री धीरेन्द्र सिंह राठौर ने किया।
Bilkul sahi maang hai.Mai in sabko apna samarthan deta hu.
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