भारत का हिन्दू समाज सिक्ख पंथ के दशमेश गुरू गोविंद सिंह जी महाराज का ऋणी-ठा.सुर्यकांत

 


सरदार अरविन्दर सिंह लांबा 
सहारनपुर। 25 दिसम्बर 2022 को   हिन्दू जागरण मंच महानगर सहारनपुर के तत्वावधान मे गुरूद्वारा भागमल जी (S.A.M. इंटर कालेज घंटाघर सहारनपुर के सामने) मे गुरू गोविंद सिंह जी के पुत्रो
साहिबजादो के बलिदान दिवस पर श्रद्धाजॅलि व स्मृति दिवस का आयोजन किया गया। हिन्दू जागरण मंच के सभी पदाधिकारी गण ,  आयाम व नगरो के पदाधिकारीगण  कार्यकर्ता उपस्थित रहे । 

इस अवसर पर हिन्दू जागरण मंच की ओर से हुतात्माओं की याद मे गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ व  लंगर का आयोजन किया गया। इस अवसर अवसर पर कार्यकर्ताओ को सम्बोधित करते हुए प्रांत सह संयोजक ठा.सूर्यकान्तसिंह ने कहा भारत का हिन्दू समाज सिक्ख  पंथ के दशमेश गुरू गोविंद सिंह जी महाराज का ऋणी है। उन्होंने न केवल हिन्दू धर्म की रक्षार्थ अपने पूरे परिवार को बलिदान कर दिया बल्कि सभी प्रकार के उत्पीड़न लालच को ठुकरा कर हिन्दूत्व के लिए संघर्ष किया।21 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक का सप्ताह जिसमे गुरुगोबिंद सिंह जी के चारों साहिबजादो बाबा अजीत सिंह जी व  बाबा जुझार सिंह जी ने मात्र 40 सिक्खो के साथ मुगल फौज का मुकाबला करते हुए अकल्पनीय युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त की। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार “निक्कियां जिंदां, वड्डा साका”.... यह शब्द गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहादत को जब भी याद किया जाता है तो सिख संगत के मुख से यह शब्द ही निकलते हैं। सरसा नदी पर जब गुरु गोबिंद सिंह जी परिवार जुदा हो रहे थे, तो एक ओर जहां बड़े साहिबजादे गुरु जी के साथ चले गए, वहीं दूसरी ओर छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह, माता गुजरी जी के साथ रह गए थे, उनके साथ ना कोई सैनिक था और ना ही कोई उम्मीद थी जिसके सहारे वे परिवार से वापस मिल सकते।

अचानक रास्ते में उन्हें गंगू पंडित मिल गया, जो किसी समय पर गुरु महल की सेवा करता था।गंगू ने उन्हें यह आश्वासन दिलाया कि वह उन्हें उनके परिवार से मिलाएगा और तब तक के लिए वे लोग उसके घर में रुक जाएं।माता गुजरी जी और साहिबजादे गंगू के घर चले तो गए लेकिन वे गंगू की असलियत को नहीं जानते थे।गंगू ने लालच में आकर तुरंत वजीर खां को गुरु गोबिंद सिंह जी की माता और छोटे साहिबजादों के उसके यहां होने की खबर दे दी जिसके बदले में वजीर खां ने उसे सोने की मोहरें भेंट की।खबर मिलते ही वजीर खां के सैनिक माता गुजरी और 7 वर्ष की आयु के साहिबजादा जोरावर सिंह और 5 वर्ष की आयु के साहिबजादा फतेह सिंह को गिरफ्तार करने गंगू के घर पहुंच गए।उन्हें लाकर ठंडे बुर्ज में रखा गया और उस ठिठुरती ठंड से बचने के लिए कपड़े का एक टुकड़ा तक ना दिया।रात भर ठंड में ठिठुरने के बाद सुबह होते ही दोनों साहिबजादों को वजीर खां के सामने पेश किया गया, जहां भरी सभा में उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने को कहा गया।कहते हैं सभा में पहुंचते ही बिना किसी हिचकिचाहट के दोनों साहिबजादों ने ज़ोर से जयकारा लगा “जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल”। इस प्रकार से हिन्दू धर्म की रक्षार्थ बलिदान होने वाले पूज्य साहिबजादो को हिन्दू जागरण मंच बारम्बार शत-शत नमन करता है।तथा 21 से 27 दिसम्बर के मध्य विभिन्न गोष्ठीयो , गुरूद्वारा मे अरदास आदि के माध्यम से उन पवित्र हुतात्मा का स्मरण करता है। 

इस अवसर पर महानगर संयोजक अनिल अरोड़ा जी ने चारो साहिबजादो की वीरता व बलिदान को स्मरण करते हुए श्रद्धाजॅलि अर्पित की। इस अवसर पर  अश्वनी शर्मा कुलदीप राणा प्रदीप ठाकुर दीपक कश्यप रजत गोयल बीर सिंह चौहान राधेश्याम संजूपाल मांगेराम त्यागी अविनाश सिंह ठाकुर सुरेन्द्र सिंह, भानु सिंह, वंश , हर्ष डाबर  आदि कार्यकर्तागण उपस्थित रहे।


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