जंग के दौरान दुश्मनों से लोहा लेने वाला कैप्टन सुभाष हुआ अपने ही समाज का इमोशनल शिकार••हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था मेरी कश्ती वहां डूबी जहां पानी कम था
अरविन्द चौहान
नई दिल्ली।उपाध्याय नाथ योगी समाज के गौरव फायर ब्रांड कैप्टन सुभाष चंद योगी देश सेवा फौज से रिटायरमेंट के बाद अपने समाज सहित अन्य समाज की सेवा के लिए उपाध्याय समाज के एक संगठन से उत्तराखंड के पदाधिकारी बनाए गए।उनके अंदर देशभक्ति एवं अपने समाज को ऊपर उठाने की भावना कूट-कूट कर भरी है।उन्होंने थोड़े दिनों में ही समाज के लिए काबिले तारीफ बेमिसाल कार्य किए जहां समाज की गरीब बेटियों की शादी में उन्होंने गुप्त दान कर उनकी शादियां कराई वही समाज के हर दुख सुख में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। साथ ही समाज के हर व्यक्ति का मान सम्मान अपना मान सम्मान समझा,लेकिन देश सेवा के दौरान दुश्मनों से लोहा ले उनका शिकार करने वाले अपने ही समाज के महत्वकांक्षी लोगों द्वारा शिकार हो गए।
इन दिनों समाज में तेजी से चर्चा व्याप्त है कि अनुभवहीन संगठन के चरित्र के चलते कैप्टन योगी सुभाष का दर्द भी समाज के सामने आ गया। जिस रजिस्ट्रेशन पर संगठन खड़ा हुआ था उसके संस्थापक बाबूराम उपाध्याय ने उत्तराखंड के पूर्व कैप्टन सुभाष चंद योगी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था, लेकिन समाज के चंद जयचंदो द्वारा छल कपट व षड्यंत रच उन्हें इस पद से दूर कर दिया गया था,जो इस पद के असली हकदार थे।
समाज के योगी भानु प्रताप, योगेश उपाध्याय, नरेश सिंह योगी, राजपाल उपाध्याय, मुकेश योगी, सूरजभान शर्मा,योगेंद्र नाथ आदि का कहना है कि कैप्टन सुभाष चंद योगी को किसी भी संगठन के पद की कोई आवश्यकता नहीं उनका रुतबा अपने समाज में ही नहीं अन्य समाजों में भी इतना है कि वह स्वयंम में एक संगठन है।
एक कार्यक्रम के दौरान कैप्टन सुभाष चन्द योगी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुझे किसी भी पद की चाह नहीं मैं समाज के लिए मैं 24 घंटे तत्पर हुं।
जानकार बताते हैं कि उनके साथ अभिमन्यु की तरह छल कपट कर घेर लिया गया और धोखे से उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से दूर कर दिया।कुल मिलाकर सुभाष जी के साथ धोखा हुआ आरोप यह भी है कि एक कार्यक्रम में सम्मिलित हुए बाबूराम के साथ धोखा संगठन के अध्यक्ष रमेश चंद खरड़ के साथ धोखा साथ ही अन्य सम्मानित व्यक्तियों को भी अपमानित करने का मामला इन दिनों सुर्ख़ियों में आ रहा है। बताया जाता है कि एक कार्यक्रम के दौरान संगठन के सम्मानित लोगों को पंडाल मे मंच के सामने नीचे बैठाया गया, जिससे समाज बेहद नाराज है। समाज के अधिकांश लोगों का कहना है कि ऐसे चरित्र वाले व्यक्ति का समाज को बहिष्कार करना चाहिए।
वहीं सोनीपत स्थित कैप्टन सुभाष चंद योगी जी के पिता स्वर्गीय श्री माईचंद योगी के राष्ट्रीय दिशोरी काज के दौरान वहां पहुंची अपार भीड़ को देखकर संगठन के एक पदाधिकारी के पेट में दर्द हो गया उसने सोचा कि तुम्हारे हाथ से कहीं पद न चला जाए। वहीं फौज से सेवानिवृत्त होने के बाद समाज में कैप्टन सुभाष चंद योगी का कद उत्तराखंड में ही नहीं यूपी, हरियाणा के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी बढ़ रहा है। उन्हें जनता प्यार भरी नजरों से देखती है वह छिक भी मार दे तो हजारों की भीड़ वही इकट्ठी हो जाती है। वह हर समय समाज के दुख सुख में लोगों के साथ खड़े हैं लेकिन संगठन का एक पदाधिकारी सिर्फ पद तक सीमित है उन्हें समाज के दुख सुख से कोई मतलब नहीं इसीलिए समाज आज तक तरक्की नहीं कर पाया और नहीं कर पाएगा समाज को ऐसे लोगों की पहचान कर उन जयचंदो का तिरस्कार करना चाहिए आज उन पर यह पंक्तियां भी सटीक बैठ रही है हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में दम कहां था मेरी कश्ती वहां डूबी जहां पानी कम था।
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