इन्फ्लुएंजा रोग वार्षिक आवृत्ति वाली एक मौसमी बीमारी-सीजनल एंफ्लुएंजा से बचाव हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश जारी
इन्फ्लुएंजा रोग वार्षिक आवृत्ति वाली एक मौसमी बीमारी-सीजनल एंफ्लुएंजा से बचाव हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश जारी
विरेन्द्र चौधरी
सहारनपुर।शासन द्वारा सीजनल एंफ्लुएंजा से बचाव हेतु प्राप्त विस्तृत दिशा-निर्देशों एवं जिलाधिकारी श्री अखिलेश सिंह के आदेशों के क्रम में मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 संजीव मांगलिक द्वारा सीजनल एंफ्लुएंजा रोग से बचाव हेतु जनपद एवं ब्लॉक स्तर पर किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने हेतु सतर्क रहने हेतु निर्देशित किया गया।इन्फ्लुएंजा रोग वार्षिक आवृत्ति वाली एक मौसमी बीमारी है। मौसमी परिवर्तन के साथ व्यक्तिगत स्वच्छता पर कम ध्यान दिये जाने, अन्य लोगों की निकट संपर्क में रहते हुए बिना उचित सुरक्षा के खांसने अथवा छींकने तथा बन्द स्थानों पर होने वाली बैठकों, समारोहों इत्यादि के कारण इन्फ्लुएंजा ए ग्रुप के श्वसन तंत्र का संक्रमण करने वाले अनेक वायरस यथा एच 1 एन 1, एच3एन2 एडिनोवायरस इत्यादि का प्रसार वर्तमान मौसम में सामान्यत देखने को मिलता है। इन्फ्लुएंजा वायरस समूह के अधिकांश वायरस हल्की फुल्की तथा स्वतः नियंत्रित हो जाने वाली श्वसन तंत्र की बीमारी करते है जिसमें बुखार तथा खंासी जैसे लक्षण पाए जाते है, परन्तु कुछ रोगियों में -विशेषकर वृद्ध व्यक्तियों, अत्यधिक मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों अथवा अन्य सहरूग्णताओं वाली स्थितियों (यथा क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज-ब्व्च्क्एडायबिटीज, कोर्डियोवैस्कुलर रोग, गुर्दे अथवा जिगर की क्रोनिक बीमारी इत्यादि) से पीडित व्यक्तियों तथा गर्भवती महिलाओं में रोग के लक्षण गंभीर हो सकते हैं जिसके कारण रोगी को चिकित्सालय में भर्ती भी करना पड सकता है। इस बात पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि कम उम्र के बच्चे, वृद्ध व्यक्ति तथा सहरूग्णताओं वाली स्थितियों से पीडित व्यक्ति एच1एन1,एच3एन2 तथा एडिवोवायरस इत्यादि इन्फ्लुएंजा वायरस संक्रमण के लिये उच्च जोखिम समूह में आते है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में जनपदीय कन्ट्रोल रूम 24ग7 की स्थापना की दी गई है जिसका दूरभाश क्रंमाक 0132-2716204, है। जनपद स्तर एवं सामु0/प्रा0स्वा0केन्द्रों पर रेपिड रैस्पोन्स टीम का गठन कर दिया गया है व आवश्यक दिशा निर्देश दे दिये गये है। एक संचल चिकित्सीय दल वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी की अध्यक्षता में गठित किया गया है। जिला चिकित्सालय एवं ब्लॉक स्तर पर एक-एक वार्ड आवश्यक उपकरणों एवं औषधि सहित आरक्षित कर दिया गया है। स्वाईन फ्लू रोग की रोकथाम हेतु आवश्यक औषधि प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध है।
सीजनल इन्फ्लुएंजा रोग का प्रसार-
संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्तियों में सीधा प्रसार- रोगी की खांसी, छींक आदि के साथ निकलने वाले सूक्ष्मकणों (ड्रापलेट) में वायरस मौजूद होते हैं जो संक्रमित वायु के माध्यम से स्वस्थ व्यक्ति में प्रवेश कर श्वसन तन्त्र को तेजी से संक्रमित करते है।
इंडायरेक्ट ट्रांसमिशन- इन्फ्लुएंजा वायरस का इंडायरेक्ट टांसमिशन भी सम्भव है जो संक्रमित वस्तुओें अथवा सतहों के माध्यम से (फोमाइट ट्रांसमिशन के रूप में) तथा निकट संपर्क (हाथ मिलाना इत्यादि) के द्वारा हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति के किसी प्रकार के स्त्राव/दूषित/संक्रमित पदार्थो/वस्तुओं/त्वचा के सम्पर्क में आने के कारण व हाथ मिलाने के हाथ न धोने से भी यह रोग फेल सकता है।
लक्षण-
अचानक, तेजी से शुरूआत इन्फ्लुएंजा की विशिष्ट पहचान है। इन्फ्लुएंजा के लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, शरीर में दर्द, गले में खराश, अनुत्पादन (बिना बलगम की) खंासी,नाक बहना और सिरदर्द शामिल हो सकते है। तेजी से बुखार आना, चेहरा-फ्लश्ड, त्वचा-गर्म और नम, आखे- लालिमा युक्त, ऑसू आ सकते है, नाक-नाक से सा्रव, कान-ओटायटिस, श्लेश्मा झिल्ली-लालिमा युक्त (हाईपरेमिक), सरवाइकल लिम्फ नोड्स-आकार में वृद्धि (विशेषकर बच्चों में) हो सकता है। इस प्रकार के लक्षण उत्पन होने/संदेह होने पर तुरन्त अपने नजदीकी सरकारी चिकित्साल में परामर्श ले।
इन्फ्लुएंजा संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव के उपाय-
रोगी द्वारा मास्क का प्रयोग- रोग से ग्रसित व्यक्ति द्वारा संक्रमण के फेलने से रोकने के दृष्टिगत ट्रीप्पल लेयर मास्क का प्रयोग किया जायें।
खांसने/छीकने का शिष्टाचार- खांसते व छीकते समय रूमाल या कोई कपडा मुॅह पर रखना चाहिए। यदि रूमाल, कपडा न हो तो कम से कम हाथों से मुॅह, नाक को सामने से ढकना चाहिए, ताकि खंासी/छींक के माध्यम से वायरस वातावरण में न फेले। टिशू पेपर का प्रयोग किये गये कपडे अथवा रूमाल को विसंक्रमक घोल से संक्रमण मुक्त करने के उपरान्त रिएजेन्ट से धोकर, सुखाकर पुनः उपयोग में लाये तथा टिशू पेपर को यथोचित प्रकार से निस्तारित करें।
वार्तालाप करते समय उचित दूरी-वार्तालाप के समय एक हाथ या उससे अधिक दूरी बनाये रखे, ताकि थूक आदि के संक्रमित कण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में न पहुॅचे।
हाथो की सफाई-कम से कम लोगों से हाथ मिलाये। हाथ मिलाने के बाद तथा किसी संक्रमित वस्तु को छूने आदि के बाद हाथ अवष्य धोये। भोजन ग्रहण करने से पहले हाथों को यथासंभव साबुन या विसंक्रामक घोल से धोये।
भीड-भाड वाले स्थानों से परहेज- इन्फ्लुएंजा ए (एच1 एन1) के प्रकोप की स्थिति में भीड भाड वाले स्थानों पर जैसे मॉल या बाजार, मेला, गैर स्थानों पर जाने से बचें।
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