जलालाबाद का फिर नाम हो मनहारखेड़ा-किले को कराया जाये मुक्त जो छीन लिया था जलाल खां ने
विरेन्द्र चौधरी
सहारनपुर। करीब400 वर्षो बाद सहारनपुर के जलालाबाद का नाम बदलने और क्षत्रियों द्वारा बनाया गया किला को मुक्त कराने की मुहिम शुरू हुई है। इस संबध में हाल ही में मनहारखेड़ा दुर्ग कल्याण समिति ने जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा है।
मनहारखेड़ा दुर्ग कल्याण समिति के अध्यक्ष भूपेन्द्र राणा के अनुसार जलालाबाद का नाम पहले मनहारखेड़ा था,मनहारखेडा में जो किला था,इसे क्षत्रियों ने बनाया था, लेकिन मुगल काल में औरंगजेब के सेनापति जलाल खां ने क्षत्रियों को दावत पर बुलाकर धोखे से मार दिया था। इसके बाद जलाल खां ने किले पर जबरन कब्जा कर लिया और मनहारखेडा का नाम बदलकर अपने नाम पर जलालाबाद रख दिया।
मनहारखेड़ा दुर्ग कल्याण समिति के भूपेन्द्र राणा के अनुसार जलालाबाद का किला सुर्यवशीं क्षत्रिय राजाओं ने बनवाया था। यहां हिन्दू राजाओं का शासन था। भूपेन्द्र राणा ने बताया कि औरंगज़ेब के समय उसके सेनापति जलाल खां ने क्षत्रिय राजाओं को दावत पर बुलाकर धोखे से मार डाला और किले पर कब्जा कर लिया। जबकि इतिहास और वशांवलियो में वर्णित इस कस्बे का नाम मनहारखेड़ा है। भूपेन्द्र राणा के अनुसार यह किला संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल है। अक्टूबर 2021 में पुरातत्व विभाग की सर्वेक्षण टीम स्थानीय निरिक्षण कर चुकी है।इसके बावजूद भी किले में तोड़फोड़, अतिक्रमण और नवनिर्माण के साथ ही अवैध प्लाटिंग की गयी। भूपेन्द्र राणा का कहना है कि क्षत्रियों के किले को मुक्त कराया जाये और जलालाबाद का नाम पूर्व नाम की तरह मनहारखेडा रखा जाये।
फिलहाल इस किले में राष्ट्रीय लोकदल के विधायक अशरफ अली खान निवास करते हैं।उनका कहना है कि पहले मुगलकाल फिर अग्रेंजी हकुमत फिर आज़ादी के बाद के 75 सालों से हमारी पीढ़ियों का किले पर मालिकाना हक चला आ रहा है।हम इस संपत्ति के स्वामी हैं।इस लिए किले को मुक्त कराने जलालाबाद का नाम बदलने का कोई आधार नहीं है। यह मांग राजनीतिक है। यदि किसी के पास इस संपत्ति के मालिकाना हक के दस्तावेज है तो उसे कानूनी पैरवी करनी चाहिए।
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