राजा मेंहदी अली ख़ान' की क़लम, 'मदन-मोहन' जी का संगीत और लता जी की दिल को चीरती आवाज़ ...

 अतीत के झरोखों से 


पवन बंसल 

"हमारा दर्द-ओ-ग़म है ये, इसे क्यों आप सहते हैं,

ये क्यों आँसू हमारे, आपकी आँखों से बहते हैं ...

ग़मों की आग हमने ... खुद लगाई,

आप क्यों रोए ...

बहुत रोए मगर अब, आपकी खातिर न रोएंगे,

न अपना चैन खोकर आपका हम चैन खोएंगे ...

कयामत आपके ... अश्कों ने ढाई,

आप क्यों रोए ..."

'राजा मेंहदी अली ख़ान' की क़लम, 'मदन-मोहन' जी का संगीत और लता जी की दिल को चीरती आवाज़ ...

कभी कभी सोचता हूँ कि यदि ये गाने न होते तो दुनिया कितनी गुमसुम सी होती। अंदर-ही-अंदर घुटती, सिसकती ... सुबकती ...। फिर कौन होता जो हमारे दिल की सुधि लेता? हमारे भोगे की अभिव्यक्ति हैं ये गाने ... शब्द, स्वर और संगीत की यह दुनिया मुझे बेहद भाती है। इन गीतों को साधने वाले सभी साधकों को नमन ...

तो आइये ... इस गीत को चुपके से निहारते हैं ...

दोस्तो ... इस फ़िल्म को देखे अरसा गुज़र गया। अब तो फ़िल्म ठीक से याद भी नहीं। लेकिन ये गीत जो अब भी सुन के ऐसा लगता है कि बस सुनते रहें ...

गाना कहता है ...

जो हमने दास्तां अपनी सुनाई ...

आप क्यों रोए?

तबाही तो हमारे दिल पे आई ...

आप क्यों रोए ?

रहीम दास जी ने कहा है कि ...

रहिमन निज मन की, बिथा मन ही राखो गोय।

सुनि अठिलैह लोग सब, बाटि न लैहैं कोय।।


लेकिन गाना कहता है और सिद्ध करता है कि यह दुनिया इतनी निर्मोही नहीं है ... यहाँ आपके दुःख पर हँसी उड़ाने वाले ही नहीं आपके ग़म को गहराई से महसूस करने वाले लोग भी हैं।

गाना आगे बढ़ता है ...

'लड़की' कहती है ...

हमारा दर्द-ओ-ग़म है ये, इसे क्यों आप सहते हैं ?

ये क्यों आँसू हमारे, आपकी आँखों से बहते हैं ?

अरे ...

ग़मों की आग हमने खुद लगाई ...

... आप से क्या मतलब?

आप क्यों रोए ...?

फिर आगे की कड़ी में लड़की 'ऐलान' सा करती है ...

बहुत रोए मगर ... अब आपकी खातिर न रोएंगे,

न अपना चैन खोकर, आपका हम चैन खोएंगे ...

इसे कहते हैं ... पर-दुःख-कातरता!

लड़की जो 'साधना' है ... लड़के 'मनोज' पर 21बैठती है ... कहती है कि ...

कयामत आपके अश्कों ने ढाई,

आप क्यों रोए ...

गीत की ये अंतिम 'बंदिश' संवेदना का शीर्ष है। कुर्बान जाऊं ऐसी 'दिल' की 'लगी' पर ...

साधना जी ... मनोज जी की आँखों में आँसू देखकर विह्वल हो उठती हैं ...

न ये आँसू रुके तो देखिये, फिर हम भी रो देंगे ...

गीतकार का यहां कमाल देखिये कि 'साधना' जी ऊपर इसी गाने में स्वीकार करती हैं कि ये क्यों आँसू हमारे, आपकी आँखों से बहते हैं? और फिर ख़ुद कहती भी हैं कि ... 'फिर हम भी रो देंगे ...! और इतना ही नहीं ... 

'हम अपने आँसुओं में चाँद तारों को डूबो देंगे ...'

फ़ना हो जाएगी सारी खुदाई,

आप क्यों रोए ...

पर्दे पर ही सही अश्कों का पूरे गाने में चुपचाप बहते रहना ... आपको भी रुला देगा, सुन के देखियेगा दोस्तो।

ख़ैर ...   'आंसू' सिद्ध हैं ...

(एक अनजान मित्र की टिप्पणी से प्रेरित)

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