इमरान मसूद को मैनेज कर फिर से सांसद बनने की जुगाड़ में लगे हाजी फजलुर्रहमान

 इमरान मसूद को मैनेज कर फिर से सांसद बनने की जुगाड़ में लगे हाजी फजलुर्रहमान

इन्तखाब आजाद 9058 405 405

यदि महिला आरक्षण की बात करें, तो समाजवादी पार्टी महिला सभा की राष्ट्रीय महासचिव रूही अंजुम गठबंधन के पास एक मजबूत मुस्लिम चेहरा होने के साथ एक दमदार प्रत्याशी साबित हो सकती हैं।

सहारनपुर। बसपा सुप्रीमो मायावती इंडिया गठबंधन में शामिल हो, तब भी और ना हो तब भी, गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा का चुनाव सांसद हाजी फजलुर्रहमान ही लड़ेंगे। सपा नेताओं के साथ मिलकर जो रणनीति सांसद हाजी  फजलुर्रहमान बना रहे हैं वो इतनी आसान भी नहीं है, क्योंकि एक तरफ जहां बसपा से निष्कासित इमरान मसूद के वजूद को नहीं नकारा जा सकता, वहीं यदि  हाजी फजलुर्रहमान ने बसपा से बगावत की, तो बसपा के पास पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पति माजिद अली जैसा बड़ा डॉयनमिक  मुस्लिम चेहरा भी गठबंधन के लिए सर दर्द बन जाएगा। उधर अभी तक कांग्रेस और गठबंधन में इमरान मसूद की नो एंट्री का भी बोर्ड लगा है। यदि इमरान मसूद चुनाव मैदान में किसी दल या निर्दलीय ताल ठोक कर खड़े नहीं होते, तो सपा-बसपा और कांग्रेस में उनके खिलाफ घेराबंदी करने वालों के जहां मनसुबे कामयाब हो जाएंगे, वहीं इमरान मसूद की सियासी पारी का भी अंत हो जाएगा। इसलिए इमरान मसूद के लिए चुनाव लड़ना भी बेहद जरूरी और  उनकी मजबूरी है। सपा के दोनों विधायक और एमएलसी और सपा का पूरा खेमा हाजी फजलुर्रहमान को प्रत्याशी बनवाने की खातिर दौलत के बल पर इमरान मसूद को मैनेज करना चाहते हैं यदि सपा के नेता, ऐसा करने में कामयाब होते हैं, तो यह इमरान मसूद के लिए आत्महत्या जैसा कदम होगा।

■ _जमीनी हकीकत तो यह है कि वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर  यहां सांसद भाजपा का बनेगा। कारण सहारनपुर  मे करीब 49% मुस्लिम मतदाता है और सिटिंग सांसद भी मुस्लिम ही है। ऐसे मे हाजी फजलुर्रहमान का  गठबंधन से टिकट लगभग फाइनल है, जबकि गठबंधन के पास यदि मुस्लिम चेहरों की बात करें तो, वरिष्ठ कांग्रेस नेता जावेद साबरी, वरिष्ठ सपा नेता मजाहिर हसन राणा, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष चौधरी मुजफ्फर अली गुर्जर, पूर्व विधायक माविया अली, दिग्गज नेता फिरोज आफताब और यदि युवाओं की बात करें, तो साहिल खान जैसे चेहरे मौजूद हैं, लेकिन सपा के स्थापित नेताओं की पहली पसंद हाजी फजलुर्रहमान ही हैं। क्योंकि उनके प्रत्याशी बनने से जंहा इमरान मसूद की सियासत का अंत होगा, वहीं सपा नेताओं को हाजी फजलुर्रहमान से मोटा आर्थिक लाभ भी होगा_

■ _बसपा के दलित मतदाताओं का साफ ऐलान है कि यदि बसपा ने हाजी फजलुर्रहमान को प्रत्याशी बनाया, तो वो भाजपा को समर्थन कर देगा,उधर खुद हाजी फजलुर्रहमान का भी बसपा से मोहभंग हो गया है और वो खुद भी गठबंधन से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं, ऐसे में यदि हाजी फजलुर्रहमान गठबंधन के प्रत्याशी होंगे, तो कयास लगाए जा रहे है,कि बसपा पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पति माजिद अली को लोकसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार  सकती है, यदि सियासी माहीरीन की यह बात सच साबित होती है, कि माजिद अली बसपा के प्रत्याशी होंगे, तो फिर हाथी सबकी चाल बिगाड़ देगा और सीधा मुकाबला भाजपा और बसपा के बीच ही होगा और यदि गठबंधन को मुकाबले में लाना है, तो भारत के मूलनिवासी गुर्जर समाज से चौधरी रूद्रसैन- चौधरी इन्द्रसैन जैसे कद्दावर नेता ही भाजपा को धूल चटा सकते हैं। इसका कारण यह है कि मुस्लिम प्लस गुर्जर व अन्य मिलकर भाजपा को आसानी से रोक देंगे और यदि प्रत्याशी गठबंधन का मुस्लिम होगा, तो हिंदू वोट भाजपा के पास  जाने से कोई भी नही रोक जाएगा। इसलिए यदि गठबंधन भाजपा को रोकना चाहता है, तो उनके पास मूलनिवासी गुर्जर समाज से चौधरी रूद्र सैन- चौधरी इंदरसैन  के अलावा कोई दमदार प्रत्याशी दिखाई नहीं देता।

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