व्यंग्य रचना : दस साल बेमिसाल - भावना मंगलामुखी के मन की बात

 मंगलामुखी का अर्थ है किन्नर : भावना मंगलामुखी के मन की बात एक बार चार लाइनें पढ़ोगे तो आखिरी लाइन तक आप पढ़ने को मजबूर हो जाओगे। किसी भी राजनीतिक दल से हो, भावना के व्यंग को पढ़कर उसे आर्शीवाद जरूर दोगे।

व्यंग्य रचना : दस साल बेमिसाल

ये मोदी नहीं ये तो मूड़ी है !
कहता तो खुद को खिलाड़ी है,
लेकिन ये सबसे बड़ा अनाड़ी है !
खुद को चायवाला बतलाया,
लेकिन कोई नहीं देख पाया !
बिन कॉलेज एडमिशन के
सिर्फ़ जुमलेबाज़ी करके
एंटायर पॉलिटिकल साइंस में
मास्टर डिग्री पाया !
खुद को एक फकीर बताता,
और दस लाख का शूट पहनता !
जब जनता काम की बात पूछती,
ये मन की बात सुनाने लगता !
जब जनता विकास की बात पूछती,
ये सरदार स्मारक बताता !
जब जनता स्कूल - अस्पताल मांगती,
ये सुलभ शौचालय गिनाता !
जब जनता रोजगार मांगती,
ये राम मंदिर की दुहाई देता !
जब कोई महंगाई की बात करता,
ये उन्हें देशभक्ति का पाठ पढ़ाता !
जब जनता आतंक का जवाब मांगती,
ये तीन तलाक व 370 बताता !
जब कोई नौजवान नौकरी मांगता,
ये उन्हें पकौड़े तलने की सलाह देता !
जब अन्नदाता अपना हक मांगता,
ये उन्हें खालिस्तानी कहता !
जब कोई एनआरसी का विरोध करता,
ये उन्हें पाकिस्तानी कहता !
जब कोई दलित उत्पीड़न की आवाज उठाता,
ये उन्हें अर्बन नक्सली कहता !
खुद आत्मनिर्भरता का नारा लगाता,
सरकारी संपत्तियां बेचता जाता !
जब कोई अर्थव्यवस्था पर सवाल उठाता,
ये उन्हें झोला उठाने की धमकी देता !
जब कोई इनकी आलोचना करता,
ये उन्हें गद्दार कहता !
जब व्यापारियों ने साथ दिया,
रिटर्न गिफ्ट में जीएसटी दिया !
जब महिलाओं ने साथ दिया,
महंगाई का उपहार दिया !
जब किसानों ने साथ दिया,
तीन काले कृषि कानून दिया !
जब नौजवानों ने साथ दिया,
उन्हें अग्निवीर का तोहफ़ा दिया !
जब ड्राइवरों ने भी साथ दिया,
हिट रन कानून का ईनाम दिया !
कालेधन का झांसा और
पंद्रह लाख का जुमला देके
और फ्री में सबके खातें खुलवाके
सबकी तिजोरियां खाली करवाया !
नोटबंदी में भी इसने
बिना नए नोट छपवाएं,
सबको लाईन में लगवाया !
इलेक्टोरल बॉन्ड ला करके
क्रोनी कैपिटलिज्म का कुचक्र रचाया,
पीएम केयर फंड घोटाला
और ईवीएम से वोटाला करके
हर चुनाव जितवाया !
2019 में पुलवामा करवाके
और नकली सर्जिकल स्ट्राइक से
शहीदों के नाम वोट मंगवाया !
कोराेना में भी सबसे सिर्फ़
ताली - थाली का नाटक करवाया !
स्कूलों को तालें लगवाया,
दारू के ठेके खुलवाया !
ऑक्सीजन के कुप्रबंधन से
गंगा में लाशें तरवाया !
न्याय मांग रहे पहलवानों पे
ये लाठी डंडे बरसवाया !
पहले हिंदू को मुस्लिम से नफ़रत करवाया !
फिर हिंदू को सिख के खिलाफ़ भड़काया !
फिर हिंदू - ईसाई(आदिवासी) को आपस में लड़वाया !
कभी आरक्षित - अनारक्षित को आमने - सामने करवाया !
कभी किसान - व्यापारी में अविश्वास - तकरार बढ़वाया,
कभी जवान को किसान से भिड़वाया,
तो कभी मालिक - मजदूर में विवाद पनपाया !
फिर भी जी नहीं भरा
तो राजनीतिक परिवारों में भी
भाई - भतीजे में झगड़ा लगवाया !
मणिपुर में भी इन्होंने
दूसरा गोधरा दोहराया !
दुनिया के दौरे करता गया,
पर मणिपुर कभी न जा पाया !
कभी खुद को गुजराती बताता,
कभी बांग्लादेश सत्याग्रह में जाता !
कोरोना की भयंकर त्रासदी में भी
इसने नया संसद भवन बनवाया !
और संसद - उद्घाटन में भी
राष्ट्रपति को भी न बुलवाया !
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में भी
स्वयं ही धर्माचार्य बन गया,
और राजनीतिक भाषण सुनाया !
भ्रष्टाचार मिटाने की गारंटी देता,
भ्रष्ट नेताओं को ईडी सीबीआई का
डर दिखाके साथ में लाता,
मंत्री बनाके कुर्सी पे बिठाता !
विरोधी दलों को साथ लाने,
भारतरत्न की रेवड़ी बांटता !
निज धर्मपत्नी को भूल गया,
और मित्रों को गले लगाता !
निज रोड़ शो में फूल बरसवाता,
अन्नदाता के लिए कीलें बिछवाता !
सच्चों को जेल का डर दिखाता,
अपराधियों को सदा बचाता !
आत्ममुग्धता की पराकाष्ठा में
स्कूलों और रेलवे स्टेशनों पे
सेल्फ स्टेच्यू सेल्फी प्वाइंट बनवाता !
दस साल में सत्तर साल से
देश पे तीन गुना कर्ज बढ़ाता !
मीडिया को भी खरीद करके
उनसे दुनिया में डंका बजवाता !
अंधभक्तों से पीठ थपथपवाता,
विष्णु अवतार घोषित करवाके
डंकापति और विश्वगुरू कहलाता !
इसलिए जब कोई मुझे बोलता है,
मोदी है तो मुमकिन है।
मैं बोलती हूं,
मोदी है तब तक मंदी है !
तब तक तेजी की आस,
बिलकुल भी मत करना।
जब कोई भक्त बोलता है -
जो राम को लाए है,
हम उनको लाएंगे !
तब मैं बोलती हूं -
राम तो कभी नहीं आएंगे,
पर ये तो बताओ -
विजय माल्या, मेहुल चौकसी
और नीरव मोदी कब लाए जाएंगे?

भावना मंगलमुखी
(सिलेंडर वाली चाची के ससुराल से)
विशेष:स्वतंत्र पत्रकारिता जो सत्ता सच बोलती है और कॉरपोरेट और राजनीतिक नियंत्रण से मुक्त है, निरंतर तभी तक संभव है जब लोग इसके लिए आर्थिक सहयोग देना शुरू करें। 8057081945 पर पेटीएम कर सकते हैं।
इस वीडियो को जरूर देखें निवेदक साबिर अली 

Comments