डी पी सिंह/वीरेंद्र भारद्वाज
सहारनपुर/मेरठ। आज़ादी में आज़ादी की तलाश है,अब हमें पूर्ण स्वराज चाहिए। पूर्ण स्वराज के बिना हमारे हालात गुलामों जैसे ही है। उत्तराखंड छत्तीसगढ़ तेलंगाना झारखंड राज्य अस्तित्व में आते ही विकास के उस पायदान पर पहुंच गये है, जहां गरीबी के कारण लोग रोजगार की तलाश में अन्य प्रदेशों में भागते थे, लेकिन अब वहां से पलायन बन्द है।
पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विरेन्द्र चौधरी पत्रकार ने कहा उत्तर प्रदेश पुनर्गठन की मांग आज़ादी से पहले की मांग है। हिन्दू महासभा "जब भाजपा नहीं थी" के भाई परमानन्द जी ने इंग्लैंड के गोलमेज सम्मेलन में उत्तर प्रदेश पुनर्गठन की मांग को उठाया था। जब तक भाजपा सत्ता में नही थी छोटे राज्य भाजपा का प्रमुख मुद्दा रहा। लेकिन सत्ता में आते ही उत्तर प्रदेश पुनर्गठन पर भाजपा ने चुप्पी साध ली है। हालांकि उत्तराखंड छत्तीसगढ़ तेलंगाना झारखंड भाजपा की केंद्रीय सरकार के समय में ही बनाए गये। उन्होंने कहा आज़ादी कोई बकरी का बच्चा नही है जिसे गोद में उठाकर आपको सौंप दिया जाये। इसके लिए संघर्ष करना ही होगा। जिन्होंने संघर्ष किया, उन्हें नये राज्य मिले।
HIGHLIGHTS
• लखनऊ में हमारी कोई राजनीतिक हिस्सेदारी नही, हमारी हालत गुलामों जैसी • पश्चिमी उत्तर प्रदेश केवल राजस्व देने के लिए • लोकसभा प्रत्याशियों से सवाल करें क्या उनके एजेंडे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश पुनर्गठन है
उन्होंने पश्चिम प्रदेश के नागरिकों से कहा लखनऊ में हमारी राजनीतिक फैसले लेने, कानून बनाने व विकास के लिए धन आबंटन जैसे मामलो में कोई हिस्सेदारी नही है। इसीलिए हमारी हालत गुलामों जैसी ही है। एक दिन एक सभा को सम्बोधित करते हुए पूर्व राज्य मंत्री हरीश चंद भाटी ने कहा था, पश्चिम के नागरिकों की हालत सेकेंड सिटीजन जैसी ही है क्योंकि उत्तर प्रदेश की सरकार में हमारी कोई खास भागीदारी नही है।
संदीप जोशी व अतुल शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाएं हो या सरकारी शिक्षा संस्थान सब पूरब में ही है, क्योंकि लखनऊ में हमारी कोई हैसियत नही है।ये ही कारण है पश्चिम उत्तर प्रदेश में कोई बड़ा सरकारी शिक्षा संस्थान,एम्स जैसी सुविधाएं नही है। पूरब के राजनीतिक दबदबे के चलते हम महत्वपूर्ण सुविधाओं से वंचित है। हम केवल लखनऊ को राजस्व देने के लिए है। उन्होंने कहा सामाजिक न्याय, आर्थिक आज़ादी के लिए हमें सड़कों पर आकर संघर्ष करना चाहिए।
विरेन्द्र भारद्वाज व पवन बंसल ने कहा कि आज पूर्वांचल प्रदेश, विंध्याचल प्रदेश, बुंदेलखंड प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की मांग उठ रही है, केंद्र सरकार खामोश है, इसके पीछे पूरब की राजनीति ही है। उन्होंने कहा हमें अपने लोकसभा प्रत्याशियों से सवाल करने चाहिए कि क्या उनके एजेंडे में पश्चिम प्रदेश पुनर्गठन है, नहीं है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता से वोट क्यों मांग रहे है। अगर उनके एजेंडे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश पुनर्गठन है तो सार्वजनिक तौर पर उसकी घोषणा करें।
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