राजन श्रेष्ठ गीतकार ही नहीं श्रेष्ठ इंसान भी थे: महापौर-गीतकार राजेंद्र राजन की जन्म जयंती पर राजन व विभा मिश्रा की स्मृति में हुआ आयोजन
राजन श्रेष्ठ गीतकार ही नहीं श्रेष्ठ इंसान भी थे: महापौर-गीतकार राजेंद्र राजन की जन्म जयंती पर राजन व विभा मिश्रा की स्मृति में हुआ आयोजन
विरेन्द्र चौधरी
सहारनपुर। राजेंद्र राजन लब्ध प्रतिष्ठित गीतकार ही नहीं एक श्रेष्ठ इंसान भी थे। उनके गीतों से भी सहारनपुर को देश में पहचान मिली। सहारनपुर सदैव उन पर गर्व करता रहेगा। उनके गीत सुनकर श्रोता अपनी सुध-बुध खो देते थे। राजन देश के उन गीतकारों की अगली पंक्ति में थे जिन्होंने मंच पर गीत विधा को जिंदा रखा। वह अपने गीतों के साथ अपने श्रोताओं के मन में और हमारे साथ हमेशा रहेंगे।
डॉ.अजय कुमार आवास विकास स्थित हरिमंदिर के सभागार में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गीतकार राजेंद्र राजन की जन्म जयंती पर राजन व उनकी पत्नी और प्रख्यात गीतकार श्रीमती विभा मिश्रा की स्मृति में नवांकुर नाट्स संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। राजन के करीब साढे़ चार दशक तक साथी रहे साहित्यकार डॉ. वीरेन्द्र आज़म ने राजन के काव्य सफर का विस्तार से से उल्लेख करते हुए उनसे जुडे़ अनेक संस्मरण साझा किये। उन्होंने कहा कि प्रेमसिक्त राजेंद्र राजन प्रेम की अनुभूतियों को उकेरने वाले कोमल भावनाओं के समर्थ गीतकार थे। उनके गीत सिखरन सी मिठास वाला एक ऐसा पेय है जिसका हर कोई श्रोता रसपान करना चाहता है। राजन के सुपुत्र प्रशांत राजन ने अपने पिता राजन और माता विभा मिश्रा की जीवन यात्रा और संघर्षो से अवगत कराया। कार्यक्रम अध्यक्ष शिव गौड़ व प्रो. हरिओम गुप्ता ने भी सम्बोधित किया।
इससे पूर्व स्मृति समारोह का शुभारंभ मां शारदा की प्रतिमा के समक्ष महापौर डॉ अजय सिंह, उद्यमी शिव गौड़, योगेश दहिया, पं शैलेंद्र तिवारी, बृजेन्द्र त्रिपाठी, प्रशांत गुप्ता, डॉ हरि ओम गुप्ता व करुणा प्रकाश ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। वरिष्ठ गीतकार डॉ.विजेंद्र पाल शर्मा ने राजन को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए पढ़ा-‘ केवल दो गीत लिखे कहकर, निज विनय भाव दर्शाया है/गीतों ग़ज़लों के गायक ने, दुनिया में नाम कमाया है।’डॉ.आर पी सारस्वत ने पढ़ा-‘ अब तक हमको विश्वास नहीं, नयनों का तारा चला गया/जिस पर हमको विश्वास बहुत,वह राजन प्यारा चला गया।’
वरिष्ठ कवि विनोद भृंग ने कुछ यूं अपनी श्रद्धांजलि दी-‘जितने गीत लिखें हैं तुमने,सब मनभावन गीत लिखे/शब्द-शब्द वाणी-वंदन के,पावन-पावन गीत लिखे/मंचों पर जब तलक ‘विभा’ जी,रहीं गीत के उपवन में/वहाँ उन्होंने पतझर-पतझर,सावन-सावन गीत लिखे।’ मेरठ से पधारी प्रतिभा त्रिपाठी ने राजन व विभा को इस तरह श्रद्धासुमन अर्पित किये-‘साथ मिला राजेंद्र का,विभा सजी चहुंओर/सरिता सागर में मिली,साथ रहा उस छोर।’ डॉ.संदीप मिश्रा का अंदाज ये था-‘ जा रहा हूँ छोड़ कर, लब पर तुम्हारे गीत अपने/हो सके तो गुनगुनाना, जब कभी मेरी याद आए/कुछ मिलन के साज़ थे, तो कुछ विरह की वेदना/हो सके तो बुदबुदाना, जब कभी मेरी याद आए।’
कवि नरेंद्र मस्ताना ने इन पंक्तियों से श्रद्धांजलि दी-‘मान बढ़ाया खूब शहर का,महफ़िल महफ़िल धूम मचाई/गीतों गजलों की दुनिया में,जमकर के तूती बजवाई/आज स्मृतियों की बेला पर, आओ ऐसा रंग जमायें/जहाँ कहीं हों राजन, विभा जी,सब कुछ उनको पड़े सुनाई।’ हरिराम पथिक ने इस दोहे से विभा मिश्रा को याद किया-‘मां गीता के ज्ञान सी, मां मुरली घनश्याम/मां केवल अक्षर नहीं, मां है अक्षरधाम।’ संदीप शर्मा ने पढ़ा- चला गया दुनिया से, था वो कोरोना काल/राजेंद्र जिसका नाम है और राजन जिसका भाल।’ जया गुप्ता व नीरा गर्ग ने भी काव्य पाठ किया। संयोजक अलका शर्मा, गीता चौहान, विपुल महेश्वरी अनुरागी ने संस्था की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में अखिलेश भार्गव, सर्वेश भार्गव, अजय सिंघल, अजय भरद्वाज, प्रत्युष् जैन, अनुपमा चौधरी, हेम शलभ, ममता प्रभाकर, विपिन शर्मा, प्रियंका त्यागी आदि मौजूद रहे। संचालन प्रशांत राजन ने किया
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