दिव्य शक्ति अखाड़े ने किया भव्य सन्त सम्मेलन का आयोजन •• सन्त सम्मेलन मे दिव्य शक्ति अखाड़े मे सम्मिलित हुए दो नए महामंडलेश्वर

 दिव्य शक्ति अखाड़े ने किया भव्य सन्त सम्मेलन का आयोजन •• सन्त सम्मेलन मे दिव्य शक्ति अखाड़े मे सम्मिलित हुए दो नए महामंडलेश्वर •• साध्वी नीता जी महाराज और राजेश ओझा जी महाराज का हुआ सुशोभन 


विरेन्द्र चौधरी 

सहारनपुर।आज दिल्ली रोड स्थित सभागार में दिव्य शक्ति अखाड़ा द्वारा “राष्ट्रीय सन्त सम्मान और महामंडलेश्वर सुशोभन समारोह” का आयोजन किया गया। सम्मेलन का शुभारम्भ “रामधुन” एवं “भारत माता की जय” और “जय श्री कृष्ण” के उद्घोष के साथ किया गया। 

मन की स्वच्छता और निर्मलता को गहन शांति के साथ सम्बंधित करते हुए मुख्य सतिथि राजयोगी श्री नारायण भाई ने कहा कि मन की गति अति तीव्र है जिसमे विचारों का प्रवाह निरन्तर चलता रहता है। जब यह प्रवाह वेगवान होता है तो मन अशांत और मनुष्य दुखी हो जाता है जबकि प्रवाह की गति 6विचार प्रति मिनट से कम होने पर मन शान्त और जीवन सुखी हो जाता है। यह सब राजयोग से संभव है। 

 प्रसिद्ध ज्योतिष मर्मज्ञ धर्माचार्य श्री हरी सिंह रावत ने संपूर्ण ब्रह्मांड में दो तरह की ऊर्जाएं यथा धनात्मक, ऋणात्मक का उल्लेख करते हुए बताया  दोनों के बीच की संतुलित  अन आवेशित ऊर्जाएं पाई जाती है। मानव शरीर के चारों ओर घूमता हुआ ऊर्जा का घेरा और विभिन्न ग्रहों से आकर हमारे शरीर के साथ टकराती ऊर्जा में से धनात्मक ऊर्जा की किरणें मानव को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ बनाती हैं,जबकि ऋणात्मक मानव के शरीर को रोगी बना देती है। मानव द्वारा ब्रह्मांड की इन धनात्मक ऊर्जाओं को एकत्रित कर उनका प्रयोग किसी भी तरह के रोग को दूर करने, मानव को स्वस्थ करने के लिए किया जा सकता है।

तपस्विनी राजयोगिनी राजेश्वरी बहन ने राजयोग की विशेषताओं की चर्च करते हुए कहा कि कलयुग से सतयुग की ओर हमे जाना है तो मन के सभी विकारों यथा काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार,तृष्णा को राजयोग से समूल नष्ट कर अपने जीवन को पवित्र बनाना होगा। स्वयं को जानना, मैं कौंन हूँ?,शरीर नश्वर है इसलिए आत्मा ,उसके स्वरूप और परमात्मा कौन है? उसका स्वरूप क्या है?, की जानकारी राजयोग से मिलती है।  

दिव्य शक्ति अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर सन्त श्री कमल किशोर ने धर्म और राष्ट्र की एकता की बात करते हुए कहा कि यदि देश बचेगा तो ही धर्म बचेगा,और धर्म बचेगा तो ही राष्ट्र बचेगा। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। धर्म, सत्ता और राजनीति को श्रेष्ठ मार्ग दिखाने का कार्य करता है। धर्म की रक्षा करने के लिए अखाड़े कार्य करते हैं और दिव्य शक्ति अखाड़ा पूरे भारतवर्ष मे सद्भाव-समभाव को स्थापित करने के लिए कार्यरत है।

 अखाड़ा संरक्षक बाबा निरंजन नाथ ने जीवन की कटु सच्चाइयों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें अपनी भाषा संस्कृत या देवनागरी लिखनी और बोलनी चाहिए क्योंकि इसी से हमारी संस्कृति और सनता धर्म का बोध होता है। धर्म और अधर्म के युद्ध मे हमे एक को चुनना ही पड़ता है। निर्भीक सन्त सदैव धर्म के पक्ष मे होते हैं, उन्हे किसी सी भी प्रकार के प्रलोभन या आतंक का भय नहीं होता क्योंकि उनका जीवन परमात्मा को समर्पित होता है।

 मानस मर्मज्ञ कौशलेन्द्र स्वामी ने तक्षशिला, नालन्दा और सोमनाथ मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि उस युग मे भारत के पास  अकूत ज्ञान था, अकूत संपदा से युक्त मंदिर थे, लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए भारत एक नहीं था। आज भारत को सर्वोच्च स्थान दिलाने के लिए नैतिक साहस की आवश्यकता है और यह काम संतों की प्रेरणा से युवा कर सकते है।

प्रसिद्ध ज्योतिष मर्मज्ञ धर्माचार्य श्री हरी सिंह रावत को 75 वां “लाइफ टाइम आचीवमेंट अवार्ड” और “राष्ट्र धर्म प्रहरी अवार्ड” से सम्मानित किया गया।   

सन्त सम्मेलन में मुख्य सतिथियों सहित सभी साँटीं ने महामंडलेश्वर श्री राजेश ओझा और महामंडलेश्वर साध्वी नीता मेहता को महामंडलेश्वर प्रफुल्ल रंजन महाराज , महामंडलेश्वर जगदीश वेदी जी , महामंडलेश्वर आचार्य सुनील शुक्ल जी , महामंडलेश्वर निर्मला सोनी जी, महामंडलेश्वर राम शंकर तिवारी, महामंडलेश्वर मुरारी योगी जी, सुधीर मिश्रा पूनम द्वारा स्मृति चिन्ह, चन्दर पाराशर ,महामंडलेश्वर निर्मला सोनी तथा महामंडलेश्वर डॉ सुरेन्द्र शर्मा ने पुष्प वर्षा कर दिव्य शक्ति अखाड़ा के महामंडलेश्वर पद पर सुशोभित किया गया।

अखाड़ा सचिव महामंडलेश्वर सुरेन्द्र शर्मा ,अखाड़ा राष्ट्रीय संयोजक सन्त सुरेश निझावन, संयोजक सन्त चन्दर चन्दन पाराशर, संयोजक सुधीर मिश्रा पूनम, महिला संयोजक नीना धींगड़ा और महामंडलेश्वर निर्मला सोनी ने संयुक्त रूप से आए हुए सभी संतों को तिलक लगा, पुष्प भेंट,मिठाई और शाल ओढा कर सभी संतों का सम्मान किया।संतों मे श्री महंत गिरधारी दास,संजय दास, गणेश दास, गोविंद दास, मनसा राम, श्री दिग्गज दास, ब्रज राज,ज्योतिषआचार्या श्री रोहित कुमार, महामंडलेश्वर ओम योगी जी,राष्ट्रीय गो रक्षा सेना अध्यक्ष आशु मोंगिया, राजेश जैन, मधुर गर्ग, जय वीर कुमार,मनीषा धीमान, सुमन सैनी, गुरुमता अनीता की उपस्थिती उल्लेखनीय रही।

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