वायरल खबर- क्या सुप्रीम कोर्ट ने दी कन्हैयालाल के हत्यारों को क्लीन चिट ?

 क्या सुप्रीम कोर्ट ने दी कन्हैयालाल के हत्यारों को क्लीन चिट ? 

सोशल मीडिया पर वायरल खबर

- सीनियर एडवोकेट मंजीत सिंह के माध्यम से नूपुर शर्मा ये अपील करने गई थीं कि पूरे भारत की कई अदालतों में उनके खिलाफ केस दायर किए गए हैं अगर उन केस की प्रकृति एक ही है तो उसे दिल्ली कोर्ट में ही ट्रांसफर कर दिया जाए क्योंकि मेरी जान को खतरा है । 


-सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ ऑर्डर में यही लिखा... प्ली डिस्मिस यानी याचिका खारिज । लेकिन जो ऑब्जरवेशन माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं वो संविधान में राइट टू इक्वेल प्रोटेक्शन और राइट टू लाइफ के मापदंडों पर सही नहीं ठहरते हैं । 

- नूपुर शर्मा के वकील की तरफ से अदालत को ये कहा गया कि अर्णब गोस्वामी के खिलाफ भी अलग अलग अदालत में मामले थे लेकिन उसको एक जगह किया गया था । इस पर जस्टिस ने जवाब दिया कि वो एक पत्रकार हैं उनकी बात अलग है । हमारा सवाल ये है कि क्या कोई पत्रकार स्पेशल सिटिजन होता है ? क्या किसी पत्रकार को संविधान ने आम इंसान से ज्यादा अधिकार दिए हैं ?

-इसके बाद नूपुर शर्मा के वकील की तरफ से ये तर्क दिया गया कि सत्येंद्र सिंह भसीन एक पत्रकार नहीं बिजनेसमैन थे उनके खिलाफ दर्ज तमाम केसों को भी आपने एक जगह क्लब करवाया था ? इस पर जस्टिस ने कहा कि उनकी अंतरात्मा नूपुर के केस को एक जगह क्लब करने के लिए राजी नहीं हो रही है । हमारा सवाल ये है कि क्या देश जस्टिस साहब की अंतरात्मा से चलेगा ? या फिर संविधान से चलेगा ? क्या माई लॉर्ड जो सोचेंगे वही देश का कानून मान लिया जाएगा ?

- जस्टिस ने एक और बात कही कि उदयपुर में जो हत्या हुई उसके लिए भी नूपुर शर्मा  ही जिम्मेदार हैं ! अब तक क्रिमिनल लॉ के मुताबिक किसी भी क्राइम के लिए थर्ड पर्सन जिम्मेदार नहीं होता है । जिसने अपराध किया उसी को सजा मिलती है । जैसे अगर किसी कार से एक्सिडेंट हुआ तो सजा ड्राइवर को मिलेगा साथ में बैठी सवारी को नहीं । इसे प्रिंसिल ऑफ वायकेरियस रिस्पॉन्सिबिलिटी कहा जाता है । लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने क्या अब इस पुराने क्रिमिनल लॉ को खारिज कर दिया है ? ये उनको अब स्पष्ट करना चाहिए ।

-जज साहब ने किसी भी जिहादी पर कोई टिप्पणी नहीं की । रहमानी के भड़काऊ बयानों के खिलाफ उनकी आवाज नहीं निकली । सड़कों पर सिर तन से जुदा के नारे लगाए गए । कलेक्टर के सामने पुलिस के सामने सिर काटने की धमकियां दी गईं । उस पर भी जज साहब कुछ नहीं बोले । बल्कि उन्होंने न्यूज चैनल के एंकर के खिलाफ बातें कहीं । 

-जज साहब ने कहा कि जब काशी का मामला सबज्यूडिश है तो उस पर टीवी पर डिबेट क्यों करवाई जा रही थी ? तो अब सुप्रीम कोर्ट को ये भी साफ कर देना चाहिए कि क्या जो मामला सबज्यूडिस होगा उस पर अब देश में किसी भी बहस पर रोक लगा दी जाएगी ? 

- ये सब बातें न्यूज चैनलों और अखबारों के माध्यम से जानकारी में आई हैं और इनको सुप्रीम कोर्ट का ऑब्जर्वेशन बताया गया है । और ऊपर वर्णित विचार जयपुर डॉयलॉग्स यूट्यूब चैनल के संचालक संजय दीक्षित जी के हैं । 

- स्वयं अलकायदा ने नूपुर शर्मा को धमकियां दी थीं लेकिन उस पर भी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कोई नोटिस नहीं लिया गया और नूपुर शर्मा को जिहादियों की भीड़ के सामने फेंक दिया गया है । 

- एक महिला जिसकी हत्या के लिए दुनिया भर से हत्या के फरमान निकाले जा रहे हैं और जिसका समर्थन के आरोप में एक शख्स की बेरहमी से हत्या कर दी गई । क्या उस महिला के प्रति जज साहब के हृदय में कोई भी सहानुभूति नहीं है ? 

-  ये वही अदालत है जो याकूब मेनन के लिए आधी रात में खुल जाती है । दिल्ली की जहांगीरपुरी में बुलडोजर एक घंटे में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रोक दिया जाता है  । जब निकिता तोमर पर गोली चली... वीडियो पूरे देश की मीडिया ने दिखाया..लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान नहीं लिया । 


-क्या पूरा देश ही कश्मीर बनने की तरफ अग्रसर नहीं हो रहा है ? 

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