ईर्ष्या पानी से नहीं सावधानी से होती है शांत-सुरेश कपिल


ईर्ष्या 
दुसरे का नहीं आपका बिगाड़ देगी जीवन••••ईर्ष्या पानी से नहीं खत्म होती होती है सावधानी से-सुरेश कपिल 

     ईर्ष्या में जलने वाला व्यक्ति अपनी खुशियों को भी जला डालता है। किसी की उन्नति, वैभव को देखकर ईर्ष्या मत करो क्योंकि आपकी ईर्ष्या से दूसरों पर तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा मगर आपकी प्रवृत्ति जरूर बिगड़ जाएगी। किसी दूसरे की समृद्धि या उसकी किसी अच्छी वस्तु को देखकर यह भाव आना कि यह इसके पास न होकर मेरे पास होनी चाहिए थी, बस इसी का नाम ईर्ष्या है। 

   ईर्ष्या सीने की वो जलन है, जो पानी से नहीं अपितु सावधानी से शांत होती है। ईर्ष्या की आग बुझती अवश्य है किन्तु बल से नहीं अपितु विवेक से। ईर्ष्या वो आग है जो लकड़ियों को नहीं अपितु आपकी खुशियों को ही जला डालती है। 

 अत: संतोष और ज्ञान रूपी जल से इसे और अधिक भड़कने से रोको ताकि आपके जीवन में खुशियाँ नष्ट होने से बच सकें। जलो मत, साथ- साथ चलो, क्योंकि खुशियाँ जलने से नहीं अपितु सदमार्ग पर चलने से मिला करती है।

ईर्ष्या पूरब से नहीं असमानता और अन्याय से है।आओ हमारे साथ आओ न्याय की जंग में शामिल हो जाओ। विरेन्द्र चौधरी पत्रकार वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा 


       

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