विरेन्द्र चौधरी
सहारनपुर। उ0प्र0 मान्यता प्राप्त वि़द्यालय शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षकों ने आज जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय अपनी विभिन्न मांगों को लेकर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया तथा मुख्यमंत्री को सम्बोधित 14 सूत्रीय ज्ञापन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को सौंपा।
प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा.अशोक मलिक ने कहा कि यदि आरटीई का बकाया भुगतान 15 दिनों के अन्दर न किया गया तो सड़कों पर उतरकर उग्र आंदोलन किया जायेगा। डा.अशोक मलिक ने कहा कि सरकार शिक्षा में सुधार तो चाहती है लेकिन निजी स्कूलों को कोई सुविधा या अनुदान नहीं देना चाहती। न तो सरकार बच्चों को डेªस, किताब आदि का पैसा नहीं देना चाहती ऐसे में भला किस प्रकार निजी स्कूल शिक्षा में सुधार करे यह उनकी समझ से परे है। उन्होंने मांग की कि आई.टी.ई. के अंतर्गत 25 प्रतिशत निःशुल्क गरीब बच्चों को वर्ष 2016-17 से 2018-19 तक आधा अधूरा फीस प्रतिपूर्ति दी गयी थी। 2019-20,2020-21,2021-2022,2022-23 की फीस प्रतिपूर्ति पूरी बकाया है, इसलिए अविलम्ब फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान कराया जाये, निजी स्कूलों द्वारा आर.टी.ई के अंतर्गत गरीब, दुर्बल वर्ग के 25 प्रतिशत बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देते हैं, तो हमारे विद्यालय के अध्यापकों को 25 प्रतिशत वेतन भी परिषद के समकक्ष मिलना चाहिए, मान्यता प्राप्त हिन्दी माध्यम स्कूलों के नर्सरी से 12वीं तक के बच्चों के डाटा ऑनलाईन फिडिंग कराने के लिए कम्प्यूटर शिक्षक व कम्प्यूटर या लैपटॉप की व्यवस्था की जाए। क्योंकि हिन्दी माध्यम स्कूल न्यूनतम शुल्क गरीब, दुर्बल वर्ग के बच्चों को पढ़ाते हैं, सरकार पर निजी स्कूलों का 500 करोड़ रूपया बकाया है, उसका मुआवजा दिया जाये, क्योंकि जिन बच्चों ने दो-दो साल से फीस जमा नहीं की है, सरकारी स्कूलों मं उन बच्चों को बिना टीसी के दाखिल दिये जा रहे हैं, उससे हमें भारी नुकसान हो रहा है। इन बच्चों की संख्या 25 लाख है, जिसका आरटीई के तहत 500 करोड़ की फीस प्रतिपूर्ति सरकार करे, निजी स्कूलों के शिक्षकों व संचालकों की यदि कोविड-19 से मृत्यु हो गयी है तो सरकार द्वारा उसे कुछ नहीं दिया गया, जबकि सरकारी शिक्षकों को भारी भरकम मोटी रकम दी जा रही है। सरकारी शिक्षकों की तर्ज पर ही निजी स्कूलों के संचालकों व शिक्षकों को भी नौकरी दी जाए और आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जाये।
प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए जिलाध्यक्ष के.पी.सिंह, महानगर अध्यक्ष गयूर आलम एवं प्रदेश सचिव अमजद अली एडवोकेट ने कहा कि जब सरकार हमें आर्थिक राहत मानदेय नहीं देती है तो हम सरकारी कार्य में सहयोग कैसे है। यदि सरकार हमारे शिक्षकों को मानदेय दे तो हम उनसे एक्सट्रा कार्य करा सकते हैं। हम सिर्फ बच्चों को पढ़ाने की फीस लेते हैं, त्रिभाषा संस्कृत अध्यापक आज भूखमरी की कगार पर है, इस प्रकार त्रिभाषा अनुदान तत्काल बहाल किया जाये, सूचनाओं व जांचों के नाम पर मानसिक व आर्थिक शोषण किया जाता है, इस पर तत्काल विराम लगे।
जिला महामंत्री हंस कुमार, आसिम मलिक व नीरज कपिल ने कहा कि मान्यता अस्थायी तीन वर्ष के लिए दी जाती है, यह खत्म होनी चाहिए। क्योंकि मान्यता के नवीनीकरण में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है, स्कूल वैन का परमिट, फिटनेस और बीमा निःशुल्क हो। क्योंकि स्कूल वैन मात्र दहाई के आंकड़ों में चलती है इसलिए स्कूल वैन की फिटनेस 30 वर्ष होनी चाहिए, एल्बेन्डाजोल टेबलेट, वैक्सीन आदि रिएक्शन कर जाती है, जिसकी जिम्मेदारी विद्यालयों पर होती है, यह अनुचित है। इस प्रकार की कार्यवाही पर रोक लगे, सरकारी विद्यालयों के बच्चों के प्रवेश के लिए स्थानान्तरण प्रमाण पत्र अनिवार्य की जाये, सड़क पर स्कूल वैन की दुर्घटना की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासक पर नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन पर होनी चाहिए, निजी स्कूल संचालक राष्ट्रपति से लेकर पटवारी व जिलाधिकारी, राजनेताओं से लेकर सरकारी स्कूल के अध्यापकों के बच्चों को पढ़ाते हैं, तो राष्ट्रपति व राज्यपाल अवार्ड भी हमारे स्कूल के अध्यापकों को दिया जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों का निस्तारण 15 दिन में न किया गया तो उग्र आंदोलन का बिगुल बजाया जायेगा।
प्रदर्शनकारियों मुख्य रूप से मुकेश शर्मा, जितेन्द्र गोरियान, कुलदीप सिंह, शिव कुमार मालियान, कंवरपाल, महीपाल, उमा बाठला, रजनी, मौ. तय्यब, बलबीर सिंह, संजय राणा, देशराज, शशिकान्त शर्मा, लक्ष्मण बागडी, यशपाल, प्रीतम सिंह, नसीम, प्रवेज, सादिक खान, रजनी अरोड़ा, कुलदीप, डा.अनीश, इमरान, शारिक, सुभाष चन्द, मुस्तकीम, मौ0अहमद, मुजाहिद, प्रवेज, एम0पी0सिंह, आशिफ अहमद, दिनेश रूपड़ी, मुस्कान, बलबीर शामिल रहे।
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