भूतों का बनाया प्राचीन शिव मन्दिर

 एक ऐसा अत्यंत "प्राचीन शिव मंदिर", जिसे इंसानों ने नहीं "भूतों" ने बनाया है।

इंजी.रमेश गुप्ता


 ग्वालियर-चंबल के "मुरैना जिले" के घने जंगलों में बना "सिहोनिया" का "ककनमठ मंदिर" आज भी लटकते हुए पत्थरों से बना हुआ है। "मुस्लिम शासकों" ने इसे तोड़ने के लिए सैकड़ों गोले दागे,किन्तु बालबांका भी नही हुआ।


ये मंदिर 10 किलोमीटर दूर से ही दिखाई देता है। जैसे-जैसे इस मंदिर के नजदीक जाते हैं इसका एक एक पत्थर लटकते हुए भी दिखाई देने लगता है। जितना नजदीक जाएंगे मन में उतनी ही दहशत लगने लगती है। लेकिन किसी की मजाल है, जो इसके लटकते हुए पत्थरों को भी हिला सके। आस-पास बने कई छोटे-छोटे मंदिर नष्ट हो गए हैं, लेकिन इस मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। आश्चर्य की बात यह है कि जिन पत्थरों से यह मंदिर बना है,आस-पास के इलाके में वे नहीं मिलते हैं।



 पुराणों में लिखा है कि भगवान शिव की शादी में देवी-देवताओं के अलावा भूत-प्रेत भी बाराती बनकर आए थे और इस मंदिर का निर्माण भी भूतों ने किया है। रात में यहां वो नजारा दिखता है, जिसे देखकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाएगी।


मंदिर का इतिहास करीब एक हज़ार साल हजार पुराना है। बेजोड़ स्थापत्य कला का उदाहरण ये मंदिर पत्थरों को एक दूसरे से सटा कर बनाया गया है। मंदिर का संतुलन पत्थरों पर इस तरह बना है कि बड़े-बड़े तूफान व और आंधी भी इसे हिला नहीं पाई। कोई चमत्कारिक अदृश्य शक्ति है जो मंदिर की रक्षा करती है।

इस मंदिर के बीचो बीच शिव लिंग स्थापित है।"120 फीट ऊंचे" इस मंदिर का ऊपरी सिरा और गर्भ गृह सैकड़ों साल बाद भी सुरक्षित है। इस मंदिर को देखने में लगता है कि,यह कभी भी गिर सकता है,लेकिन "ककनमठ मंदिर" सैकडों सालों से इसी तरह टिका हुआ है।

 

ककनमठ मंदिर पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। यहां की कला और मंदिर की बड़ी-बड़ी शिलाओं को देख कर पर्यटक भी इस मंदिर की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाते। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की प्रतिमायें पर्यटकों को "खजुराहो" के मंदिरों की याद दिलाते हैं।











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