13 साल की स्वीटी क्यूं बन रही अखबारों की सुर्खियां

 नाम स्वीटी उम्र 13 कर रही अदभुत कारनामा चौंकिए मत सीखिए--खुद पढ़ती है पांचवीं में--गांव में पढ़ा रही बच्चों को निशुल्क 

विरेन्द्र चौधरी 

U P। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में एक जिला है बलिया। जहां के पिछड़े इलाके में रहती है, इस बालिका की उम्र है मात्र 13 वर्ष। नाम है स्वीटी। इतनी कम उम्र में स्वीटी बन रही है अखबारों की सुर्खियां। ये खबर सिर्फ चौंकाने वाली नहीं है ये खबर आपके चिंतन मनन और अंगीकार करने वाली खबर है।

मीडिया में सुर्खियां बटोरने वाली स्वीटी की उम्र अभी केवल 13 वर्ष की है और पांचवीं कक्षा की छात्रा है। स्वीटी बलिया जिले के शेखपुर गांव की रहने वाली है। स्वीटी अपने स्कूल की मेधावी छात्रा बताई जा रही है। उसका मेधावी होना,साहसी होना और उसकी सोच का परिचय इस बात से मिलता है कि उसने अपने गांव के बच्चों को शिक्षा का एक ऐसा मंच दे दिया,जो बच्चे पढ़ते नहीं थे, स्कूल में पढ़ने के लिए शायद उनके पास साधन नहीं थे। वे सब स्वीटी के प्रयास से पढ़ने के लिए प्रेरित हुए। गांव के लगभग तीन दर्जन बच्चे स्वीटी से पढ़ने के लिए आने लगे। स्वीटी खुद पांचवीं कक्षा में शिक्षा ले रही है और स्कूल के बाद एक छत के नीचे बच्चों को पढ़ा रही है।

स्वीटी की खास बात यह है कि अभी वह खुद एक स्कूल में पढ़ रही है और गांव के बच्चों को शिक्षित कर रही है। कमाल इस बात के है वह किसी बच्चे से कोई फीस नहीं लेती। इस आर्थिक युग में बच्चों को निशुल्क पढ़ाती है। स्वीटी का कहना है वो जो कुछ इन बच्चों को पढ़ाती है उसे भी याद हो जाता है। उसे इन बच्चों को शिक्षित करते समय ऐसा लगता है जैसे वो अपने परिवार में ही है।

स्वीटी अपने इस कार्य से अखबारों की सुर्खियां बनी हुई है। पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय है। गांव वालों का कहना है कि बड़े होकर स्वीटी जरूर कुछ बड़ी बनेगी। 

जिस क्षेत्र में गरीबी हो, लोग अपने पेट को भरने और परिवार के जुगाड़ में उलझे हो,ऐसे में एक छोटी बच्ची परिवार से बाहर निकल कर अपनी उम्र के बच्चों को शिक्षित कर रही हो। उसका साहस और उसके विचार उसका बलिदान केवल एक खबर नहीं है,उसके विचार पूरे समाज के लिए अंगीकार करने के लिए है।

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