अरुषेन्द्र शर्मा
जल ही जीवन है,जल है तो कल है।ये कथन हम सुनते,सुनाते रहे है,लेकिन इस जल रूपी जीवन और अपने कल को बचाने के बहुत अधिक सार्थक कार्य नही किये गए है,जबकि जल उपलब्धतता पर दृष्टि डाले तो हमारे कल पर गंभीर संकट स्पष्ट दृष्टीगोचर होते है।
पृथ्बी के लगभग 71-72% भाग पर जल है।1.6%जल भूमि के नीचे है।पृथ्वी की सतह पर जो जल है उसमें से लगभग 97% जल सागरो और महासागरों में है,नमकीन है अर्थात पीनी योग्य नही।
केवल 3%जल ही मीठा है जिसमे से भी 2.4% उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर जमा हुआ है केवल 0.6%जल ही नदियों, तालाबो, कुओ, झीलों आदि में है।
भारत मे पूरे विश्व की 18% जनंसख्या रहती है,जबकि विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.4%भूमि भारत के पास है लेकिन कुल उपलब्ध मीठे जल का केवल 4%जल ही भारत के पास है। इससे स्पष्ट होता है कि भारत में जनसंख्या की दृष्टि से जल की उपलब्धता अत्यंत न्यून है।
पीने के जल की कमी से जूझते विश्व के 20 प्रमुख शहरों में से पांच शहर भारत के हैं ।यदि टोक्यो नंबर एक पर है तो भारत का दिल्ली नंबर दो पर है।
जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से इतना कम पीने के पानी की उपलब्धता होने के बाद भी वर्षा के जल को सहेजने में अभी सार्थक उपलब्धि प्राप्त नही हुई है।
वर्षा जल का 75%से अधिक का उपयोग हम नही कर पाते और वह वापस समुद्र में चला जाता है जबकि भारत मे उपलब्ध कुल पीने के जल का 83% कृषि में ,12 % उद्योग में व 5% घरेलू उपयोग में खर्च होता है।कृषि हेतु अधिक से अधिक वर्षा जल को सहेजने की आवश्यकता है व कृषि में कम जल से ही किस प्रकार अच्छी पैदावार प्राप्त की जावे ,इस पर यद्यपि कार्य चल रहा है लेकिन इसके सार्थक परिणाम आना अभी शेष है।इस विषय पर अधिक ध्यान देने की भी आवश्यकता है।
विश्व मे जल का उद्दोग एक बड़ा उद्दोग बनता जा रहा है। विश्व मे 100 से अधिक कंपनिया बोतल बन्द पानी के व्यापार में है,तथा इनका कुल व्यापार भी 100 अरब डॉलर से भी अधिक है ।केवल भारत मे ही बोतल बंद जल का सालाना व्यापार लगभग 14 अरब 85 करोड़ रूपये से भी अधिक हो गया है।अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने पीने के बोतल बंद पानी की बहुत ऊंची कीमते तय की है।जिसमे से एक कंपनी के बोतल बंद 1 लीटर पानी की कीमत 44 लाख रूपये के आस पास है। अन्य कुछ कंपनियां ने भी कोई ₹29000 कोई ₹12000 ₹1000 तक की कीमत भी रखी है।
यदि पानी को नही सहेजा गया तो पानी आगे भविष्य में मिलना अत्यंत दुष्कर हो जावेगा।नदियो,तालाबो,कुँओं का पुनर्जीवन तथा संरक्षण करना तथा भूमिगत जल का स्तर विभिन्न माध्यमो से बढ़ाना ही एक मात्र उपाय है। उपलब्ध जल पर जनसंख्या का भार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।
जल है तो कल है और जल ही जीवन है
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