गरीब, दुर्बल वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति से वंचित रखना बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण--अशोक मलिक


विरेन्द्र चौधरी 

सहारनपुर 29 नवम्बर। अल्पसंख्यक बच्चों की छात्रवृत्ति बहाल किये जाने की मांग को लेकर आज उ.प्र.मान्यता प्राप्त विद्यालय शिक्षक संघ, अभिभावक संघ एवं मदरसा आधुनिकीकरण एसोसिएशन द्वारा संयुक्त रूप से हकीकत नगर के धरना स्थल पर धरना दिया। मौके पर किसी भी उच्चाधिकारी के ज्ञापन लेने न पहुंचने से आक्रोशित  प्रदर्शनकारियों ने उग्र रूप से धारण जिला मुख्यालय की ओर कूच किया और सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों की उग्रता को भांप सिटी मजिस्ट्रेट ने कार्यालय से बाहर आकर प्रदर्शनकारियों को शांत किया और ज्ञापन लिया। 

आंदोलनकारियों का कहना था कि यदि अधिकारी बाहर नहीं आयेंगे तो उनके कार्यालय पर ज्ञापन चस्पा कर दिया जायेगा। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री को सम्बोधित 9 सूत्रीय ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंप कार्यवाही की मांग की। 

शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा.अशोक मलिक ने कहा कि देश में लाखों मुस्लिम बच्चों का छात्रवृत्ति का कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के डाटा आरटीई का हवाला देकर अपने पोर्टल से रिजेक्ट कर दिया है जबकि मदरसे आरटीई के अंतर्गत आते ही नहीं है, इसलिए सरकार का यह कदम अनुचित है जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 4 वर्षों से आरटीई के बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति सरकार ने निजी शिक्षण संस्थाओं को नहीं दी है। निजी शिक्षण संस्थाओं का पूर्व का कर्जा देकर ही सरकार को फैसला लेना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि गरीब, दुर्बल वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति से वंचित रखना बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है।


श्री मलिक ने धरने को सम्बोधित करते हुए कहा कि निजी संस्थान 25 प्रतिशत दुर्बल वर्ग के बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं, मात्र 5 प्रतिशत बच्चे अल्पसंख्यक पढ़ते हैं बाकी 20 प्रतिशत बच्चे अन्य सभी वर्गों के आरटीई के अंतर्गत पढ़ते हैं बाकी भी मध्यम वर्ग के निजी स्कूलों में 75 प्रतिशत गरीब बच्चे पढ़ते हैं उनको केन्द्र सरकार की एनएसपी नेशनलस कॉलरशिप की योजना से लाभान्वित किया जाता था और फीस प्रतिपूर्ति आने के उपरान्त ही छात्र-छात्राएं अपनी शिक्षण संस्थाओं का शुल्क जमा करता थे भारत सरकार ने यह छात्रवृत्ति सभी बच्चों को नहीं दी तो सरकार के महत्वपूर्ण योजना सर्वशिक्षा अभियान सभी को शिक्षा अनिवार्य और साक्षरता जैसी योजना चलाना बेईमानी होगा।

अभिभावक संघ के चौ.नीरपाल सिंह ने कहा कि आरटीई के अंतर्गत मदरसों में छात्र-छात्राओं का प्रवेश नहीं होता। इस प्रकार मदरसों के छात्र-छात्राओं को भारत सरकार की छात्रवृत्ति से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। उ.प्र. में करीब 800 संस्कृत विद्यालय बन्द होने की कगार पर है इसलिए निजीकरण संस्थाओं के द्वारा सम्बोधित कराकर अनुदानित किया जाये तथा मानदेय दिया जाये। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल धरने का पूर्ण समर्थन करता है और आंदोलनकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ रहेगा। 

जिलाध्यक्ष के.पी.सिंह, मण्डल अध्यक्ष प्रवीन गुप्ता, हंस कुमार ने कहा कि त्रिभाषा अनुदान पिछले 12 वर्षों से नहीं मिल रहा है जिस कारण त्रिभाषा अध्यापक भूखमरी की कगार पर है, इस प्रकार त्रिभाषा अनुदान बहाल किया जाये। निजी विद्यालय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा बिना लाभ हानि के संचालित किये जाते हैं, इसलिए निजी संस्थाओं का बिजली, गृहकर, जलकर आदि टैक्स माफ किये जाने चाहिए। 

जिला प्रभारी अब्दुल कादिर, कोषाध्यक्ष बुरहान, फुरकान ने कहा कि परिषदीय स्कूलों के साथ ही मान्यता प्राप्त स्कूलों के छात्र-छात्राओं को भी खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कराना चाहिए क्योंकि 10 प्रतिशत बच्चे ही परिषदीय स्कूलों में पढ़ते है, जबकि 90 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं, इसलिए ज्यादा प्रतिभाएं निजी स्कूलों से निकलती हैं, इसलिए सरकार को इस ओर ध्याना देना चाहिए। 

प्रदर्शनकारियों को भाकियू वर्मा के महानगर अध्यक्ष जहीर तुर्की ने धरना स्थल पर पहुंचकर धरने को समर्थन दिया। प्रदर्शनकारियों को चन्दकिशोर सैनी, रफाकत अहमद वहीद, अब्दुल हन्नान, मौ.तजकीर , दिनेश रूपडी आदि ने भी सम्बोधित किया। 

धरने पर मुख्य रूप से रियाजुल, मौ.तबरेज, अतीक, सुमित, प्रिया, गीता, शहजाद अहमद, शराफत राणा, मनोज मलिक, सनव्वर, दिनेश रूपडी, हीना, अलका, राजेश्वरी, बलजीत कौर, सोनिया आदि भारी संख्या में धरने पर मौजूद रहे।


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