विधिविधान और मंत्रोच्चार के साथ एकमुखी और पंचमुखी रुद्राक्ष के पौधे रोपित कर मनाई महाशिवरात्रि

 विधिविधान और मंत्रोच्चार के साथ एकमुखी और पंचमुखी रुद्राक्ष के पौधे रोपित कर मनाई  महाशिवरात्रि


विरेन्द्र चौधरी 

सहारनपुर। महाशिवरात्रि के महान पवित्रतम पर्व पर आज नवनिर्मित आयुक्त निवास पर “दिव्य शक्ति अखाड़ा” के आचार्य महामंडलेश्वर सन्त कमलकिशोरजी महाराज ने विधिविधान और मंत्रोच्चार के साथ नवनिर्मित आयुक्त निवास पर आयुक्त श्री लोकेश.एम के शुभ करकमलों द्वारा एकमुखी और पंचमुखी रुद्राक्ष के पौधों का रोपण कराया।

सन्त कमलकिशोरजी महाराज ने रुद्राक्ष के धार्मिक महत्व का वर्णन करते हुए कहा कि शिवमहापुराण के अनुसार रुद्राक्ष,विभूति और पंचाक्षर शिव नाम मन्त्र “नमः शिवाय” यदि कोई भी मनुष्य धारण करता है,तो उसका मन इतना पवित्र हो जाता है कि वो कोई पापकर्म नहीं करता है। रुद्राक्ष स्वयं भगवान रुद्र अर्थात कल्याणकारी शिव के नेत्रों से बहे हुए निर्मल जल से उत्पन्न, मानव जाति के कल्याण हेतु उत्पन्न हुआ फल है। इसे सभी वर्णों के लोग यथा ब्राह्मण,क्षत्रिय, वैश्य,शूद्र, स्त्री, बालक, विधवा, चांडाल, दास-------या अन्य कोई भी प्राणी धारण कर सकता है।इसको धारण करने वाले को लहसुन, मदिरा,लसोढ़ा,माँस,प्याज,सहिंजन और विडवराह का त्याग करना आवश्यक है।   

सन्त कमलकिशोर ने रुद्राक्ष की वैज्ञानिक महत्ता की व्याख्या करते हुए बताया कि रुद्राक्ष धारण करने से हृदय कि गति नियमित रहती है,कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित होने लगता है। रुद्राक्ष दानों के ऊपर उभरी हुई सतह पर जब जप करते हुए उँगलियाँ और अंगूठे का स्पर्श होता है तो मानसिक तनाव,चिंता और थकान दूर हो कर शरीर में एक नई ऊर्जा और उत्साह  का संचार होता है।आयुर्वेद के अनुसार रुद्राक्ष की भस्म शहद अथवा गुलकंद के साथ सेवन करने से रुद्राक्ष बौद्धिक क्षमता और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। साथ ही कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों के जीवाणुओं को भी नष्ट करता है।   

इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा के वैज्ञानिक डॉक्टर डेविड ली ने अनुसंधान के बाद बताया कि रुद्राक्ष विद्युत ऊर्जा के आवेश को संचित करता है, जिससे इसमें चुंबकीय गुण विकसित होते हैं। यह आवेश मस्तिष्क में कुछ केमिकल्स को प्रोत्साहित करते हैं, इस प्रकार शरीर का चिकित्सकीय उपचार होता है।

रुद्राक्ष वृक्षारोपण के इस अवसर पर संत कमल किशोर ने आयुक्त श्री लोकेश.एम को शिवपुराण, दुर्गा सप्तशती और रुद्राष्टध्यायी पुस्तकें भेंट स्वरूप प्रदान की। आयास आयुर्वेदिक अस्पताल के संचालक डॉ हर्ष,धीरेन्द्र  राठौड़,राहुल सैनी,आर के गुप्ता, प्रवीन गेदी,पण्डित श्रवण शर्मा की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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