मीरा गौतम एक परिचय--मीरा गौतम किसी परिचय की मोहताज नहीं फिर भी एक परिचय जरूरी है

 मीरा गौतम किसी परिचय की मोहताज नहीं फिर भी एक परिचय जरूरी है--विरेन्द्र चौधरी पत्रकार 


साहित्य के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान रखने वाली मीरा गौतम के बारे में जितना जानने  का प्रयास करते हैं  वह उतने ही नये-नये आयामों में एक प्रिज़्म की तरह , सतरंगी आभा में दमकती हमारी चेतना में उपस्थित हो जाती हैं।निरन्तर  साहित्य -साधना में रत मीरा गौतम के रचनाकर्म को कागज़ पर कहाँ तक दर्ज़ करें  वह अविराम और अथाह है।

कविता ,गद्य ,पद्य, शोध,समीक्षा , सम्पादन और संगीत के आदि के क्षेत्र में उनकी पकड़  यह साबित करती है कि जीवन के उतार-चढ़ावों और चुनौतियों से मिले अनुभवों  ने उनके रचनाकर्म को विशेष आयाम दिया है .उन्होंने विवाह के बाद अपना कैरियर खड़ा किया है.  विवाह और परिवार  के दायित्त्वों के बीच  वह अब भी ,अपनी लेखनी से नित नयी चुनौतियों में खड़ी  समय की  बदलती धड़कनों को  निरन्तर समय के पृष्ठों पर दर्ज़ कर रही हैं।

मुज़फ़्फ़नगर में जन्मीं मीरा गौतम का कर्मक्षेत्र हरियाणा रहा है।

शिक्षा ,साहित्य  में रचनाकर्म और शोधकार्य :--

- डी.लिट्. मध्यकालीन  हिन्दी साहित्य पर , हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से ,(महाकवि सूरदास पर केन्द्रित यह शिक्षा की सर्वोच्च डिग्री है।

-पीएच.डी ,आधुनिक हिन्दी साहित्य पर ( चौ. चरणसिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से)

-पोस्ट डॉक्टोरोल शोध -योजना ,सीनियर फैलोशिप  के लिए  '  भारतीय दार्शनिक  अनुसंधान परिषद् '   मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ,अखिल भारतीय  स्तर पर चयन, पर्यावरण  और साहित्य पर केन्द्रित  (हिन्दी में लिखा  गया पहला  वैग्यानिक शोध ),वल्लभाचार्य के शुद्धाद्वैत -दर्शन की पुष्टिमार्गीय भक्ति के पर्यावरण -पक्ष में ,वर्तमान परिप्रेक्ष्य   पर केन्द्रित  यह शोधकार्य सम्पन्न चुका है।

- एम.ए. प्रथम श्रेणी, हिन्दी साहित्य में  उच्चस्थान प्राप्त ,सागर विश्वविद्यालय, मध्यप्रदेश  से---बी.ए.,प्रथम श्रेणी , डिस्टिंग्शन  व स्कॉलरशिप प्राप्त ,सागर विश्वविद्यालय ,मध्यप्रदेश  से-इन्टरमीडिएट  प्रथम श्रेणी, डिस्टिंग्शन , और स्कॉरशिप प्राप्त ,यूपी  बोर्ड. इलाहाबाद  से-हाईस्कूल, प्रथम श्रेणी , डिसटिंग्शन, स्कॉलरशिप,यूपी बोर्ड ,इलाहाबाद से।इस प्रकार थ्रोआउट शैक्षणिक और साहित्यिक कैरियर में मीरा ने हाईस्कूल से एम.ए. तक सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में प्राप्त की हैं।स्कॉलरशिप और नेशनल स्कॉरशिप भी उन्हें  प्राप्त हुई हैं.  उनके कर्मसंकल्पों में, उनके प्रखर कैरियर की  छाप निरन्तर दिखायी देती है।

सीनियर फैलोशिप  साहित्य क्षेत्र में बड़ा योगदान : कुछ विस्तार में  :--

इस समग्र  शोध -योजना में  , संस्कृत और हिन्दी के अन्तर्सम्बंधों  के परिप्रेक्ष्य में, पूरे भाषायी परिवृत्त को पर्यावरण की दृष्टि से विश्लेषित किया गया है।

' भारतीय दार्शनिक अनुसंधान  परिषद्, (icpr  ) ,मानव संसाधन विकास मंत्रालय,भारत सरकार ने    दो वर्ष के लिए  उनका चयन' सीनियर फैलोशिप ' के लिए किया था। उनके नाम का यह चयन   अखिल भारतीय  स्तर पर हुआ।पर्यावरण ,दर्शन  और हिन्दी कविता पर आधारित यह शोध योजना  विश्व की वर्तमान ज्वलंत समस्या - पर्यावरण पर केन्द्रित है जिसमें , वदों,उपनिषदों , भागवत पुराण, वाल्मीकि रामायण, गीता ,मध्यकालीन हिन्दी साहित्य और इक्कीसवीं सदी की हिन्दी कविता में   ग्लोबल वार्मिंग , जलवायु परिवर्तन  और पर्यावरण कानूनों का हवाला देकर   आह्वान किया गया है  कि पर्यावरण -संरक्षण के स्वाभाविक स्रोत संस्कृत और हिन्दी कविता में मौजूद हैं।

हमें बायोस्फियर में  जाकर जैविक विविधताओं  और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करनी चाहिये,  हम पर्यावरण संरक्षण करें,हम टैक्नोस्फियर की अतिवादिता से बचें और संतुलन कायम करें। इस चुनौती से निपटने के लिए हम अपने पौराणिक ग्रंथों से  पर्यावरण संरक्षण के वैज्ञानिक उपाय  ढूँढें।यह हिन्दी में लिखी गयी पहली वैग्यानिक  शोध है।

- डी.लिट्   --  शिक्षा की सर्वोच्च डिग्री  हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से .मध्यकालीन हिन्दी साहित्य पर केन्द्रित है. शीर्षक  है  ' सूर -काव्य में लोक-दृष्टि का विश्लेषण 'यह शोध-प्रबंध मीरा गौतम की मध्यकालीन हिन्दी कविता पर उनकी पकड़ को साबित करता है।

 इस शोध में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की उस मान्यता को विनम्रता पूर्वक  निरस्त किया गया है जब वह कहते हैं कि सूरदास कृष्ण भक्ति में इतने तल्लीन रहते थे कि उन्हें दीन दुनिया की सुध नहीं रहती थी.जबकि ,तथ्य यह है कि उनके कृष्ण का अवतरण ही लोक की रक्षा हेतु हुआ था.लोक, समाज,संस्कृति, भाषा ,पर्व ,संगीत और तीज  त्यौहारों में सूर का काव्य  लोक का असाधारण इनसाईक्लोपीडिया है।

महाकवि सूरदास का जन्म हरियाणा प्रदेश के सीही स्थान  में हुआ था.  ब्रज और मथुरा से अपने काव्य में लोकयात्रा करते हुए  ही वह विश्वव्यापी कवि हुए हैं। उनपर प्रामाणिक शोध करके मीरा गौरवान्वित हैं।

उन्होंने ' सूर की भक्ति ' नामक ग्रंथ भी लिखा जो चंडीगढ के  ' युगमार्ग ' प्रकाशन ने छापा।उन्हें ' हरियाणा साहित्य अकादमी 'ने' सूर शोधार्थी सम्मान से नवाज़ा।उन्होंने  पीएच. डी .आधुनिक हिन्दी कविता को केन्द्र में रखकर की।पीएच.डी. का शीर्षक है- ' साठोत्तरी हिंदी कविता में क्रांति और सृजन' इसमें सन् साठ के बाद  की आधुनिक हिन्दी कविता  में होने वाले बदलावों को रेखांकित किया गया है।इसमें आधुनिकता,उत्तरआधुनिकता,विखण्डनवाद और उत्तर संरचनावाद के बिंदुओं का स्पर्श करके आधुनिक हिन्दी कविता के विविध आयामों की पड़ताल की गयी है।

मीरा गौतम को 35 वर्षों का अध्यापन का अनुभव है।उनके निर्देशन में 52   पीएच.डी सम्पन्न हुई हैं।उन्होंनें लगभग  150 एम.फिल् करायी हैं।उन्होंने  पोस्टग्रेजुएट  डिप्लोमा इन ट्रांसलेशन के विद्यार्थियों का निर्देशन किया है।पत्रकारिता  में शोध निर्देशन  का उन्हें अनुभव प्राप्त है। उन्होंने कई ग्रंथों का हिन्दी से अंग्रेजी और अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद कराया है।

जिन पदों पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय  में  वह रहीं   हैं  :--  Dean faculty of arts and languages,kuk

 -Chairperson , deptt.of hindi,kuk

- Chairperson journalism and mass communication, kuk

- Chairperson guru ravidas chair, kuk

- Chairperson haryanvi  lokpeeth kuk. ,chairperson ,urdu deptt, kuk

- Chairperson , modern european languages kuk

रेफ्रैशर कोर्सेज़ --

 (1)बनारस हिन्दु यूनिवर्सिटी वाराणसी, उत्तर प्रदेश

(2) सरदार पटेल यूनिवर्सिटी, आणंद, गुजरात

अन्य पदेन दायित्व--upsc दिल्ली, झारखंड,उत्तराखंड आदि के एक्सपर्ट पैनल  में - Ugc  में  अहिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी विभाग खोले जाने वाली समिति में   रहीं।विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रोफेसर्स , प्रिन्सिपल्स  ,एसोशिएट प्रोफेसर,और असिस्टैंट प्रोफेसर की चयन समिति में - मैम्बर,फाइनैंस कमेटी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय-मैम्बर ऑफ कोर्ट, विश्वविद्यालय--मैम्बर ऑफ एक्जीक्यूटिव कौन्सिल  कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय- मैम्बर ऑफ एकेडेमिक कौन्सिल, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय-कोऑर्डिनेटर सर्टिफिकेट कोर्स इन उर्दू, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय-कन्विनर ,पी .जी .बोर्ड ऑफ  स्टेडीज़ फॉरेन लैंग्वेजेज़,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय- मैम्बर  ऑफ एग्जिक्यूटिव कौन्सिल,चंडीगढ़ साहित्य ,अकादमी, चंडीगढ़-मैम्बर ,इंडियन नेशनल थियेटर चंडीगढ़-मैम्बर ऑफ हैल्थ एडवाइजरी कमेटी,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय- कन्विनर, बोर्ड ऑफ स्टेडीज़, जर्नलिज्म एण्ड मासक्यूनिकेशन,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय- कोऑर्डिनेटर p.g.d.j.m.c ,kuk- कन्विनर,कॉमनस्लेबाइ (हिन्दी)  महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी. रोहतक और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय- मैम्बर,अनफेयरमिन्स कमेटी.kuk-मैम्बर यूथ वैलफैयर कमेटी.kuk-मैम्बर स्क्रीनिंग कमेटी,to consider the cases of eligility teachers/ librarian of non govt.affiated colleges of kuk- मैम्बर एडवाइजरी कमेटी फॉर द पब्लिकेशन kuk news letter- मैम्बर,' वॉयलैंन्स एण्ड सैक्सुअल हैरासमेंट अगेंन्स्ट वोमैन कमेटी'  kuk- ऑब्ज़र्वर इलेक्शंस ऑफ मैनेजिंग कमेटी ऑफ अम्बाला, कॉलेज ऑफ इन्जीनियरिंग एण्ड एप्लाइड  रिसर्च (sce)-ऑब्जर्वर, एनुएल एग्जामिनेशन आफ kuk-कोऑर्डिनेटर, नेशनल सेमिनार ,हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित(15-16 फरवरी,2001)kuk- डायरेक्टर नेशनल सेमिनार,  16 फरवरी, 2002( हिन्दी विभाग)kuk- डायरेक्टर,नेशनल सेमिनार,27 नवम्बर,2002 ,(हिन्दी-विभाग)kuk- ऑर्गेनाइज़र 'हिन्दी सप्ताह समारोह,8 से 14 सितम्बर,2000 ,हिन्दी-विभाग द्वारा आयोजित-ऑर्गेनाइज़र, ' हिन्दी सप्ताह समारोह '7 से 14 सितम्बर,2001,(हिन्दी-विभाग द्वारा आयोजित )kuk-ऑर्गेनाइज़र, हिन्दी पखवाड़ा,14 से 30 सितम्बर,2002 (हिन्दी- विभाग) kuk- हिन्दी साहित्य परिषद् के तत्त्वावधान में विभिन्न साहित्यिक आयोजन,हिन्दी-विभाग kuk- डायरेक्टर ,रेफ्रैशर कोर्स,  एकेडेमिक स्टाफ कॉलेज , ,2001,kuk डायरेक्टर,रेफ्रैशर कोर्स, 2002 ,एकेडेमिक  स्टाफ कॉलेज.kuk-मैम्बर हाई लेवल कमेटी ,साहित्यकार अभिनन्दन समिति ,हरियाणा साहित्य अकादमी,-  upsc में  परीक्षा सम्बंधी गोपनीय कार्य- उत्तराखंड  ,पब्लिक सर्विस कमीशन में गोपनीय कार्य-झारखंड  पब्लिक सर्विस कमीशन में गोपनीय कार्य-upsc दिल्ली में गोपनीय कार्य-यूजीसी में गोपनीय परीक्षा सम्बंधी  कार्य-मेम्बर,एडिटोरियल बोर्ड ,जरनल ऑफ हरियाणा स्टेडीज़,.kuk- मेम्बर ,पुरस्कार समिति, सन् 2000 ,हरियाणा साहित्य अकादमी- केन्द्रीय हिन्दी साहित्य अकादमी दिल्ली में.पुरस्कार चयन  में मेम्बर रहीं ।हरियाणा साहित्य अकादमी ,पंचकूला के महत्त्वपूर्ण गोपनीय कार्यों का अनुभव आदि- हिन्दी निदेशालय के  नेशनल सेमिनार में भागीदारी और शोधपत्र समिट 

- नेशनल सेमिनार और वर्कशॉप्स 50 नेशनल सेमिनार और  50 वर्कशॉप्स का अनुभव- विभिन्न अन्तरराष्ट्रीय वेबिनार में सक्रिय भागीदारी। 

हिन्दी से है प्यार- समाचार और उपलब्धियाँ- साहित्य का विश्वरंग( अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था)-साझा संसार ,नीदरलैंड्स - हिन्दी परिषद्  हिसार-ग्लोबल हिन्दी संस्थान ,वैश्विक मंच-न्यूज टैन  हालैंड द्वारा आमंत्रित-मैम्बर आऑफ एडिटोरियल बोर्ड फॉर सोविनियर' ' गीता जंयती उत्सव'

साहित्य और कला के क्षेत्र में मिले पुरस्कार --

- 'सूर पुरस्कार' , हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा (अब तक एकमात्र महिला रचनाकार मीरा गौतम को) - महिला सशक्तीकरण पुरस्कार, हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा- सूर शोधार्थी सम्मान, हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा- मीडिया पुरस्कार- दुष्यंत- स्मृति सम्मान- स्वतंत्रता की अर्द्धशती पर कला व साहित्यिक सेवाओं के लिए आंध्रप्रदेश में सम्मानित- रविदास प्रचार सभा जींद द्वारा सम्मानित -उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ' कामायनी '

की अर्द्धशती पर सम्मानित - निरन्तर साहित्यिक संस्थाओं द्वारा   सम्मानित

ग्रंथ लेखन एवं सम्पादन :-

1 . मीरा गौतम रचनावली ( पाँच खण्ड ) निर्मल प्रकाशन,दिल्ली

2  .समय  रहेगा हाथ में (काव्य-संग्रह ) आधार प्रकाशन ,पंचकूला

3 .मुझे गाने दो मल्हार (काव्य-संग्रह ) यूनिस्टार प्रकाशन,चंडीगढ 

4 .गाँव के मुहाने से निकली है बटिया (काव्य-संग्रह ) यूनिस्टार प्रकाशन. चंडीगढ़

5 .आकाशवाणी दिल्ली द्वारा कहानियाँ प्रसारित

6 .साठोत्तरी हिन्दी कविता में क्रांति और सृजन ,निर्मल प्रकाशन ,दिल्ली

7.सूरकाव्य में लोक-दृष्टि का विश्लेषण, निर्मल प्रकाशन, दिल्ली

8 . हिन्दी भक्ति काव्य ,निर्मल प्रकाशन, दिल्ली

9 .सूर की भक्ति ,युगमार्ग प्रकाशन ,चंडीगढ़

10 .संत रविदास की निर्गुण भक्ति, निर्मल प्रकाशन ,दिल्ली

11.धर्मवीर भारती की कविता  :एक अनुशीलन  ,सूर्यभारती प्रकाशन,दिल्ली

12 .अन्तिम दो दशकों का हिन्दी साहित्य ,वाणी प्रकाशन ,दिल्ली 

13 .गुरु रविदास : वाणी एवं महत्त्व ,वाणी प्रकाशन, दिल्ली

14 . शोधपरक निबंध और विविध  ,निर्मल प्रकाशन

15 . अनुवाद प्रविधि  ,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रकाशन

16 .  हिन्दी पत्रकारिता , कुरुक्षेत्र , विश्वविद्यालय प्रकाशन

17 .गद्य शिखर : प्रधान सम्पादक , कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ,प्रकाशन, (पाठ्यक्रम में शामिल) 

18 . अभिनव गद्य गरिमा ,  प्रधान सम्पादक ,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रकाशन ,( पाठ्यक्रम में शामिल)

19. हरियाणवी लोकधारा ,प्रधान सम्पादक, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय  प्रकाशन ( पाठ्यक्रम में शामिल)

20 .  रश्मि पत्रिका का सम्पादन

21 .हरियाणवी लोक साहित्य (विशेषांक ) प्रधान सम्पादक ,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रकाशन

22 . समन्वय पत्रिका : सम्पादन सहयोग

23.कलानिधि का सम्पादन ,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का प्रकाशन

24 . संभावना शोध पत्रिका का सम्पादन, ,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का प्रकाशन

25 हरियाणा रिसर्च जरनल का सम्पादन 

26. कुरुक्षेत्र रिसर्च जरनल का सम्पादन

27. गीता-जयंती समारोह स्मारिका का सम्पादन सहयोग

28 .हिन्दी साहित्यकोश,भारतीय भाषा परिषद् कोलकाता में आलेख शामिल

29. हरियाणा साहित्य अकादमी के इतिहास सम्बंधित ग्रंथ में कवियों पर आलेख शामिल

30 . शुद्धाद्वैत दर्शन के पुष्टिमार्गीय काव्य में पर्यावरण : आधुनिक सन्दर्भः  वर्तमान सन्दर्भ में  ( प्रकाशनाधीन )

  31. महुआ बेपरवाह, काव्य-संग्र (प्रकाशनाधीन) 


देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, शोध पत्रिकाओं में  लेख एवं समीक्षाएँ   निरन्तर प्रकाशित आजकल मीरा गौतम एक नयी  साहित्यिक योजना में कार्यरत हैं- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिन्दी-विभाग में  प्रोफेसर और अध्यक्ष  के साथ ,कला और भाषा संकाय में डीन  के पद से सेवा-निवृत्त मीरा गौतम ने  हिन्दी -विभाग में स्थापित ' गुरु रविदास चेयर ''हरियाणवी लोकपीठ" का सफल संचालन किया। हरियाणवी लोकबोली  को हरियाणा के विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले एम.ए.और बी.ए के  पाठ्यक्रमों में लागू किया जिसपर  एम् फिल और पीएच.डी कराया जाना शामिल है जो  आजतक जारी है-  हिन्दी  को  रोज़गारपरक बनाने के लिए  मीरा गौतम ने  पत्रकारिता और अनुवाद।

 पाठ्यक्रम लागू किये

   -हरियाणवी लोकपीठ के  अन्तर्गत्  हुए  शोधकार्य  :--pH.d.  रिसर्च कार्य- लखमीचंद के साँगों का शैली वैज्ञानिक अध्ययन-पंडित लखमीचंद  के साँगों का लोकतात्त्विक अध्ययन- हरियाणा की साँग परम्परा में आधुनिक बोध- हरियाणवी लोककलाओं का बदलता हुआ स्वरूप,हरियाणा की संत परम्परा और साधुराम-  हरियाणा के लोकसाहित्य में नारी-चित्रण-हरियाणवी लोकगीतों में राष्ट्रीय चेतना के स्वर- हरियाणवी लोकसाहित्य में दार्शनिक चेतना-हरियाणवी साँगों का   अभिव्यंजना -शिल्प-हरियाणवी लोकगीतों में पर्यावरण - हरियाणा तिमिर भास्कर शुद्ध रामायण : सम्पादन और विश्लेषण - हरियाणा के लोक साहित्य में आध्यात्मिक चेतना- हरियाणा और ब्रज के लोकगीतों का तुलनात्मक अध्ययन-  हरियाणा के लोकनाट्य का समाजशास्त्रीय 

अध्ययन- हरियाणा के साहित्यकारों की कृतियों का भाषावैज्ञानिक अध्ययन- हरियाणा के बालसाहित्य का मनोवैज्ञानिक अध्ययन- हरियाणा की भजन मंडली की परम्परा को पंडित रामेश्वर दत्त का योगदान- हरियाणवी बोली में रचित साँगों में सामाजिकता-हरियाणवी लोकसाहित्य में हास्य-व्यंग्य-हरियाणवी  लोकगीतों में गीतात्मकता (एम.फिल् )

हिन्दी विभाग में विभिन्न शोध विषयों पर काम  करने के अतिरिक्त-गुरु रविदास चेयर पर कराये गये कार्यों विवरण  :--( पीएच .डी . एवं  एम.फिल् के शोधकार्य)

1 .रविदास काव्य की प्रासंगिकता : ph.d.

2.   संत रविदास  की वाणी में व्यक्त जीवन - दर्शन ph.d.

3. संत रविदास और कबीरदास  की वाणी का सांस्कृतिक दृष्टि से तुलनात्मक अध्ययन ph.d.

4. दादूदास और रविदास वाणी का तुलनात्मक अध्ययन ph.d.

 5 .हिन्दी मध्यकालीन  दलित काव्य में निहित   मानवतावादी स्वर ph.d.

6 . रविदास की वाणी का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन ph.d.

7.  संतकाव्य परम्परा में रविदास का स्थान ph.d.

8 .ध्वनि सिद्धांत के परिप्रेक्ष्य में  रविदास की वाणी का अध्ययन ph.d.

9 . संत रविदास  की वाणी, काव्य, संस्कृति और दर्शन ph.d.

10.मध्यकालीन निर्गुण कवियों की प्रगतिशील चेतना ph.d.

11.संत रविदास काव्य का  मनोवैज्ञानिक अध्ययन  ph.d. 

नोट : - ' रविदास चेयर  ' हिन्दी की मध्यकालीन विशेषज्ञता से सम्बंधित है . अतः  हिन्दी के मध्यकालीन साहित्य  पर हुए शोध इसके अन्तर्गत माने गये हैं।

एम.फिल् से जुड़े काव्य निम्नवत् हैं : --

रविदास में औचित्य चर्चा-रविदास कार्य में अलंकार विधान-रविदास के काव्य में मानव मूल्य-रविदास के काव्य में ब्रह्म का स्वरूप-रविदास की वाणी में सूफ़ी तत्व- रविदास की वाणी में पर्यावरण

 डीन  और अध्यक्ष रूप में वह सफल प्रशासक के रूप में सामने आयीं ।

विश्वविद्यालय  के विभिन्न मतभेदों सम्बन्धी कमेटियों की चेयर पर्सन के रूप में  उन्होंने कई विवाद  सुलझाए।उन्होंने प्रमाणित किया कि चौतरफा दबावों और चुनौतियों मे घिरी एक स्त्री किस तरह पाँव जमाकर आकाश को छूने का हौसला भी  रख सकती है.मीरा पब्लिक सर्विस कमीशन  के कार्यों, यूजीसी द्वारा अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी -विभाग खोले  जाने के दायित्त्वों,देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर्स,प्रिन्सिपल्स ् आदि की चयन समितियों और विभिन्न एकडेमिक कार्यों से आज भी सम्बद्ध हैं. उन्होनें  हरियाणा के विश्वविद्यालयों के लिए  पाठ्यक्रम लागू किये हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश भर से उनका चयन कर उन्हें सीनियर फैलोशिप दी  है जो, पर्यावरण के सन्दर्भ में ,दर्शन साहित्य में, वेदों ,उपनिषदों ,गीता ,कृष्ण और राम साहित्य के पर्यावरण कानूनों के प्रति जागरूक करती हुई इक्कीसवीं सदी की हिन्दी कविता को पर्यावरण की दृष्टि से विश्लेषित करती है।

वह थ्रोआउट फर्स्टक्लास रही हैं।आधुनिक हिन्दी साहित्य में पीएच.डी और मध्यकालीन हिन्दी में डी.लिट् हैं।पोस्ट डॉक्टरल में वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय से चयनित सीनियर फैलोशिप की शोधयोजना पूरी कर चुकी हैं जो प्रकाशनाधीन है।

 मीरा गौतम को हरियाणा साहित्य अकादमी ने   प्रतिष्ठित  'सूर पुरस्कार,महिला सशक्तिकरण पुरस्कार और  सूर शोधार्थी सम्मानों से नवाज़ा है.दुष्यंत -स्मृति, मीडिया पुरस्कार, कला रत्न पुरस्कार, स्वतंत्रता की अर्द्धशती पर साहित्यिक अवदान के लिए पुरस्कृत किया गया.  उर्दू  की उत्कृष्ट अदायगी के लिए क़तील शिफ़ाई ने उन्हें सम्मानित किया.'सूरस्मारक मंडल आगरा' ने उन्हें 'महाकवि सूरसम्मान'  प्रदान किया. देश की विभिन्न  सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाएं उन्हें  निरन्तर  सम्मानित कर रही हैं. आकाशवाणी और दूरदर्शन के विभिन्न केन्द्रों से उनका काव्यपाठ और वार्ताएं प्रसारित होती    हैं।उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में उनका काव्यपाठ और सम्मान हुआ है।

मीरा गौतम का साहित्य क्षेत्र में योगदान--साहित्य की किसी भी विधा में लिखने के लिए एक अन्तर्दष्टि  और एक विज़न की ज़रूरत होती है.अन्ततः साहित्य-सृजन समाज और अपने पाठकों के लिए होता है.यह ' निज ' से  ' पर ' की यात्रा है जो अपनी दूरदृष्टि एवं गुणवत्ता के कारण वैश्विक हो जाती है.

मीरा भारत की बेटी हैं  और हरियाणा में कार्यरत रही है। इसीलिए ,उनकी रचनाओं में देश की  संस्कृति , उसकी जड़ों की  अनुगूँज और समय की आहटें सुनायी देती हैं.

 ' समय रहेगा हाथ में ' काव्य-संग्रह की कविताओं में उनका यही स्वर प्रमुख है।अपनी कविताओं में स्वयं होकर भी वह मानवीय और सामाजिक संवेदनाओं से जुड़ती हैं.वह मानती हैं कि  भारत एक समन्वित देश है.इसके लिए वह बाह्य विचारधाराओं  से उनके उजले पक्ष से उतना ही  लेती हैं जितना ज़रूरी है.अन्यथा ,साहित्य केवल प्रचार की वस्तु  और  एकांगी बनकर  रह जाता है.

  ' मुझे गाने दो मल्हार.' काव्य-संग्रह की कविताएंँ  इक्कीसवीं सदी के ज्वलंत मुद्दे पर्यावरण पर मूलतः केन्द्रित हैं. इसमें पर्यावरण के विभिन्न रूपों को बारीकी से देखा जा सकता है क्योंकि, पर्यावरण केवल प्रकृति नहीं है.हमारा समाज ,व्यवहार, जलवायु के मानव संस्कृति और भाषा के निर्माण  के  पारीस्थितिक प्रभावों का आकलन भी करता है.मीरा गौतम साहित्य-सृजन को रचनात्मक ज़िम्मेदारी मानती  हैं और उनकी कविताएँ इस संग्रह में साक्षी दे रही हैं।

- हरियाणा के  कला एवं सांस्कृतिक विभाग से वह अभी सम्बद्ध हैं . हरियाणा साहित्य  अकादमी के महत्त्वपूर्ण कार्यों को करती हुई वे अत्यंत गौरवान्वित   हैं।वह निरन्तर साहित्यिक सेवा, लेखन, सेमिनार वेबिनार आदि में व्यस्त हैं।

' गाँव के मुहाने से निकली है बटिया ' बटिया अर्थात् पगडंडी काव्य - संग्रह  की  कविताएँ देश के गाँवों की बदलती संस्कृति , भाषा, व्यवहार ,चलन और  इस  सदी  के बदल रहे  चेहरे पर केन्द्रित हैं. शहरों की चकाचौंध से गाँव खाली हो रहे  हैं, चौपालें सूनी हैं और आधुनिकता के   प्रवेश ने सबकुछ बदल कर रख दिया है. 

दो काव्य-संग्रह प्रकाशनाधीन हैं.  उनके लेख, ,शोध आलेख,कविताएँ ,समीक्षाएँ देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं।

देश के विभिन्न भागों में आयोजित  राष्ट्रीय सेमिनारों, वेबिनारों काव्य-संगोष्ठियों में वह  बराबर शिरकत कर रही हैं।अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनारों में वह निरन्तर सक्रिय हैं।

संगीत  क्षेत्र

मीरा गौतम की संगीत क्षेत्र में गहन रूचि है.उन्होंने किराना घराना में संगीत  सीखा है. दूरदर्शंन और आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों पर उनकी संगीत प्रस्तुतियांँ हुई हैं।

देश के प्रतिष्ठित मंचों यथा उत्तर सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड,माता मनसा देवी बोर्ड,आकाशवाणी  और लखनऊ, दूरदर्शन केन्द्र,दिल्ली आकाशवाणी  और दूरदर्शन केन्द्र,जालंधर ,रोहतक,बनारस,चंडीगढ़  आकाशवाणी और दूरदर्शन केन्द्रों और  देश के विभिन्न केन्द्रों पर प्रस्तुतियों का गौरव उन्हें प्राप्त है।दूरदर्शन केन्द्रों और देश के विभिन्न के विभिन्न सांगीतिक मंचों  पर उनकी सफल प्रस्तुतियाँ इसकी गवाह हैं।

हिन्दी के अलावा पंजाबी, बंगाली, ब्रज, उड़िया,हिमाचली, उत्तराखंड, मराठी,उर्दू ग़ज़ल राजस्थानी, तमिल ,तेलूगु, कन्नड,  असमी आदि देश की बोलियों में मीरा गा सकती हैं.ग़ज़ल,गीत ,भजन आदि के गायन में मीरा को महारथ हासिल है।

जो परिचय यहाँ प्रस्तुत किया गया है उसे महासमुद्र की एक बूँद ही समझिये।फिलहाल मीरा साहित्य के एक  नये प्रोजेक्ट में व्यस्त हैं।




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