महापुरुषों को याद करने व समाज मे भाईचारा बनाए रखने के लिए 13 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय जाट दिवस मनाया जाता है - बाबा परमेन्द्र आर्य

 महापुरुषों को याद करने व समाज मे भाईचारा बनाए रखने के लिए 13 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय जाट दिवस मनाया जाता है - बाबा परमेन्द्र आर्य 


विरेन्द्र चौधरी 

आज महाराजा सूरजमल अखाड़ा गाँव रोरी मे अंतर्राष्ट्रीय जाट दिवस के शुभावसर पर अग्निहोत्र यज्ञ किया व जाट महापुरुषों के चित्रों पर पुष्प अर्पित किये। 

इस अवसर पर बाबा परमेन्द्र आर्य ने कहा भारतीय इतिहास में जाट महापुरुषों को उचित स्थान नहीं मिला है। इस कारण हमें प्रति वर्ष 13 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय जाट दिवस मनाकर आने वाली पिढी को अपना गौरव पुर्ण इतिहास बताना पड़ता है। इस्लामिक आक्रांताओं से लेकर अंग्रेजी हुकूमत से लड़ने वालों मे जाट योद्धाओं की संख्या बहुत बड़ी है। लेकिन इतिहास में कहीं भी इनके बारे में नहीं पढाया जाता है। जैसे वीर गोकुल जाट, वीर शिरोमणि राजाराम जाट, रामकी चाहर, चूडामनजी, महाराजा सूरजमल, महाराजा जवाहर सिंह, राजा महेंद्र प्रताप, बल्लभगढ़ के राजा नहार सिंह व हरि सिंह नलवा और कुशल पाल सिंह दहिया, भगतसिंह आदि न जाने कितने नाम है जिन्होंने देश व वैदिक धर्म को बचाने के लिए अपने परिवार व साथियों के साथ अपना सब कुछ स्वाहा कर दिया। इन महापुरुषों की वीरगाथा अपने बच्चों को बताना हम सभी प्रबुद्ध नागरिकों की जिम्मेदारी है। 

बाबा परमेन्द्र आर्य ने कहा कि समय समय पर समाज मे नयी नयी बुराई आती रहती है। उनकों दुर करने के लिए भी हमें विचार विमर्श करते रहना चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ी का सर्वांगीण विकास हो सके। आज पुरे समाज मे नशें का बहुत चलना हो गया है। जिससे गम्भीर बिमारियां लग जाती है और परिवार आर्थिक तंगी मे आ जाता है। नशा करने वालों व्यक्तियो से समाज मे सबसे अधिक नुकसान बच्चों का होता है उन्हें देखकर वे भी नशा करना सीख जातें हैं। समाज को नशामुक्त करने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए।

 पवन चौधरी ने कहा आज कल शादी विवाह मे दिखावे के चक्कर मे एक दिन की चकाचौंध दिखाकर हम कर्ज बंद हो जाते हैं ऐसे ही तेहरवीं मे हम बहुत अधिक खर्च कर रहे हैं। हमें इन सब से दूर होकर सादगी भरे शादी विवाह करने चाहिए और अपने बच्चों की शिक्षा व स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

राम नारायण राणा ने कहा जाटों ने कृषि, सेना व खेल के क्षेत्र मे बहुत ही अच्छा कार्य किया है और 36 बिरादरियों को साथ लेकर चलना व गांवों को बसाना जाटों का सराहनीय कार्य रहा है। जाट आज भी न्यायप्रिय, कर्मशील व सत्यवादी विचारों के साथ जीवन जीता है। 

इस अवसर पर मिनी चौधरी, राममेहर सिंह, वेद प्रकाश घणघस, मटोरी घणघस, अरुण श्योराण, दिनेश राणा, जोनी कलकल, विक्की श्योराण, विनित श्योराण सुभी चौधरी , ब्रहमसिह, नरेन्द्र श्योराण, राजेन्द्र सिंह मनोज कलकल आदि उपस्थित रहें ।

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