डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह महाराज से जिलाधिकारी डॉ0 दिनेश चन्द्र ने शिष्टाचार भेंट कर लिया आशीर्वाद
विरेन्द्र चौधरी झालुसहारनपुर। राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह महाराज से जिलाधिकारी डॉ0 दिनेश चन्द्र ने शिष्टाचार भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया। उन्होने बाबा गुरिंदर सिंह को स्वलिखित काल प्रेरणा एवं कर्म निर्णय नामक पुस्तक भेंट की।
बाबा गुरिंदर सिंह ने जिलाधिकारी से पुस्तकें प्राप्त कर उनके द्वारा साहित्य के क्षेत्र में किये जा रहे उल्लेखनीय प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि रचनात्मकता व्यक्ति के व्यक्तित्व को पूर्ण करने के साथ निखारती है।
जिलाधिकारी ने बताया कि बाबा गुरिंदर सिंह से मिलकर विभिन्न सामाजिक एवं अध्यात्मिक बिन्दुओं पर चर्चा की। उन्होने जनपद सहारनपुर में कृषि, उद्योग एवं पर्यटन की अपार संभावनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि सभी क्षेत्रों में जनपद का विकास हुआ है लेकिन उत्कृष्टता लाने के लिए जन सहयोग के साथ अध्यात्मिक गुरूओं का आर्शीवाद होना जरूरी है। इसलिए जनपद के सर्वांगीण विकास के लिए जिलाधिकारी ने बाबा गुरिंदर सिंह से जनपद पर अपना आर्शीवाद बनाए रखने का अनुरोध किया।
हाइलाइट्स
• डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह महाराज से जिलाधिकारी डॉ0 दिनेश चन्द्र ने शिष्टाचार भेंट कर लिया आशीर्वाद
• बाबा गुरिंदर सिंह को स्वलिखित काल प्रेरणा एवं कर्म निर्णय नामक पुस्तक की भेंट
• साहित्य के क्षेत्र में किये जा रहे उल्लेखनीय प्रयासों के लिए की डीएम की प्रशंसा
• शासकीय कार्यां की उत्कृष्टता के लिए लिया आशीर्वाद
• जिलाधिकारी ने बाबा गुरिंदर सिंह से सामाजिक, अध्यात्मिक एवं जनपद के विकास पर की चर्चा
डॉ0 दिनेश चन्द्र ने मानव जीवन में गुरू की महत्ता का उल्लेख करते हुए कबीरदास जी के दोहे की पंक्तियां का उदाहरण दिया। उन्हेने कहा कि जीवन को बेहतर करने के लिए गुरूओं का स्थान हमारी संस्कृति में हमेशा से ही सर्वोच्च रहा है।
“जाका गुर भी अंधला, चेला खरा निरंध। अंधा−अंधा ठेलिया, दून्यूँ कूप पड़ंत”॥ पढते हुए कहा कि जागृत गुरू ही समाज को सही दिशा दे सकता है। उन्होने कहा कि बाबा गुरिंदर सिंह जी से मिलकर बेहतर अनुभूति हुई। उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों से समाज को एक नई दिशा मिल रही है।अपनी बोली अपना भेष लेकर रहेंगे पश्चिम प्रदेश विरेन्द्र चौधरी पत्रकार 8057081945//9410201834
डॉ0 दिनेश चन्द्र ने मानव जीवन में गुरू की महत्ता का उल्लेख करते हुए कबीरदास जी के दोहे की पंक्तियां का उदाहरण दिया। उन्हेने कहा कि जीवन को बेहतर करने के लिए गुरूओं का स्थान हमारी संस्कृति में हमेशा से ही सर्वोच्च रहा है।
“जाका गुर भी अंधला, चेला खरा निरंध। अंधा−अंधा ठेलिया, दून्यूँ कूप पड़ंत”॥ पढते हुए कहा कि जागृत गुरू ही समाज को सही दिशा दे सकता है। उन्होने कहा कि बाबा गुरिंदर सिंह जी से मिलकर बेहतर अनुभूति हुई। उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों से समाज को एक नई दिशा मिल रही है।अपनी बोली अपना भेष लेकर रहेंगे पश्चिम प्रदेश विरेन्द्र चौधरी पत्रकार 8057081945//9410201834
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